जोगिन्दरनगर : जोगिन्दरनगर उपमंडल के तहत चौंतड़ा के साथ सटी ग्राम पंचायत टिकरी मुशैहरा के दूर दराज के दो गांव निका ठाना और बुन्हला महरौला में भूस्खलन के खतरे को देखते हुए दोनों गांवों को प्रशासन द्वारा पूरी तरह खाली करवा लिया गया।

जिसके चलते लगभग 14 परिवारों के 34 लोगों को सामुदायिक भवन चौंतड़ा में ठहराया गया है। लगातार बारिश होने के कारण जब निक्का ठाना ओर बुन्हला गांव के लोगों को जब भूस्खलन व चट्टानें गिरने का खतरा हुआ, तो गांव के युवक रवि कुमार और सरगु ने अपने पंचायत प्रधान रविंद्र कुमार को दो जुलाई को सूचित किया तथा खतरे के बारे में बताया।
जिसके उपरांत पंचायत प्रधान रविंद्र तथा पंचायत सचिव सुरेश कुमार मौका पर पहुंच गए। जहां उन्होंने देखा की गांव के ऊपर पहाड़ में लंबी दरार पड़ गई है ओर उस खतरे को भापते हुए तुरंत प्रशासन को सूचित किया।
जिसके चलते शुक्रवार को सभी लोगों को अब वहां से सुरक्षित निकाल लिया गया।
जो लोग पशु पालन से जुड़े थे। उनको छतडू गांव में पशुओं सहित भेज दिया गया । टिकरी पंचायत प्रधान रविंद्र कुमार ने बताया कि गांव के 10 लोग जो पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हैं।
उन लोगों के पास लगभग 250 के करीब भेड़ बकरियां तथा सात पशु थे। उनके लिए टेंट का प्रावधन सुरक्षित स्थल पर किया गया है। शुक्रवार को दोपहर तक जो 34 लोगों को चौंतड़ा के सामुदायिक भवन में रहने की व्यवस्था की गई है।
उनमें 13 महिलाएं 10 बच्चे तथा 11 पुरुष हैं। जिसमें एक गर्भवती महिला भी है और इसमें छह बच्चे स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले हैं। जो जिला कांगड़ा के गुनेहड़ ओर बीड में शिक्षा ग्रहण कर रहे है।
उपमंडल अधिकारी जोगिंद्रनगर नागरिक मुनीष चौधरी, खंड विकास अधिकारी चौंतड़ा अनुभव ओर वरिष्ठ कांग्रेस नेता व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सचिव जीवन ठाकुर भी मौके पर चौंतड़ा पहुंचे तथा इन प्रभावित परिवारों से मिले ।
कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर ने इन लोगों की समस्या को सुना और आश्वासन दिलाया कि मुख्यमंत्री से उनको दूसरी सुरक्षित जगह पर घर बनाने के लिए ये मामला उठाया जाएगा।
उन्होंने अपनी ओर से इनके खान की व्यवस्था का भी जिम्मा उठाने की बात कही । उपमंडल अधिकारी जोगिंद्रनगर मनीष चौधरी ने बताया कि भूस्खलन के खतरे को भापते हुए दोनों गांव को पूरी तरह खाली करवा लिया गया है और जब तक मौसम खराब बना रहता है। तब तक यह परिवार चौंतड़ा के सामुदायिक भवन में रहन-सहन करेंगे। एचडीएम
2012 में भी हुआ था भू-स्खलन
निका ठाना गांव के सर्गू राम ने बताया कि वर्ष 2012 में भी वह भूस्खलन से अपना मकान खो चुके है और अब दोबारा खतरा पैदा हो गया है । उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि गांवों के लोगों को सुरक्षित जगह बसाया जाए।