युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने नवीन शर्मा

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर से इंजीनियरिंग करने वाले 42 वर्षीय नवीन शर्मा कॉरपोरेट सेक्टर की नौकरी छोड़ हाइड्रोपोनिक्स तरीके से खेती कर हर माह 50 से 60 हजार रुपये कमा रहे हैं। 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में स्थापित हाइड्रोपोनिक्स पॉलीहाउस के माध्यम से नवीन न केवल अच्छी कमाई कर रहे हैं बल्कि दो अन्य युवाओं को रोजगार भी दे रहे हैं। नवीन हाइड्रोपोनिक्स खेती को व्हाइट कॉलर खेती की संज्ञा भी देते हैं।
हाइड्रोपोनिक्स खेती का कार्य शुरू करने से पहले नवीन शर्मा 15 वर्ष तक कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में देश और देश के बाहर जॉब कर चुके हैं और उन्हें अच्छा पैकेज भी मिल रहा था, लेकिन अब उन्होंने स्वरोजगार को ही आगे बढ़ने का माध्यम बनाया है।
उन्होंने पॉलीहाउस में विभिन्न प्रकार की फसलें तैयार की हैं, जिनके बेहतर दाम मिल रहे हैं। तैयार फसलें पालमपुर, कांगड़ा, धर्मशाला, मैक्लोडगंज में आसानी से बिक रही हैं। यहां तैयार लैट्यूस 400 से 450 रुपये प्रति किलो, चैरी टमाटर 300 से 350 रुपये और बेसिल तुलसी 400 रुपये किलो बाजार में बिक रही है। स्ट्रॉबेरी, शिमला मिर्च और धनिया के भी अच्छे दाम मिल रहे हैं। एसडीएम जोगिन्दरनगर डॉ. विशाल ने युवाओं से इस खेती में आने का आह्वान किया है।

क्या है हाइड्रोपोनिक्स खेती
नवीन ने कहा कि हाइड्रोपोनिक्स खेती की एक ऐसी आधुनिक तकनीक है, जिसमें केवल पानी का ही इस्तेमाल होता है। पारंपरिक खेती के मुकाबले हाइड्रोपोनिक्स से पानी की लगभग 90 फीसदी तक बचत होती है। हाइड्रोपोनिक्स खेती में सिर्फ पानी के जरिये ही सब्जियां उगाई जाती हैं।

इसमें पाइप में पोषणयुक्त पानी बहता है। पौधों की जड़े उससे अपना न्यूट्रिशन लेती हैं। इसमें नर्सरी में तैयार पौधा को पॉलीहाउस में स्थापित पाइपों में रोप दिया जाता है। इसके बाद पाइपों के माध्यम से पानी की सप्लाई द्वारा सभी तरह के पोषक तत्व पौधों को दिए जाते हैं।

सरकार दे रही 80 प्रतिशत उपदान
नवीन ने बताया कि पॉलीहाउस निर्माण को सरकार 85 प्रतिशत की दर से 5.18 लाख रुपये का उपदान मुहैया करवाया है। हाइड्रोपोनिक्स सेटअप के लिए 3 लाख रुपये की सब्सिडी मिली है।

हाइड्रोपोनिक सेटअप के लिए कुल 10 लाख रुपये की लागत आई है। इसके अलावा पॉलीहाउस की सोलर युक्त बाड़बंदी को भी सरकार ने 80 प्रतिशत की दर से 1.35 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया है।
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