देवभूमि में 500 करोड़ से बहेगी दूध की ‘हिमगंगा’, दुग्ध उत्पादकों को मिलेगी दूध की अच्छी कीमत

शिमला : वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार ने पशुपालन क्षेत्र के लिए बड़ी घोषणा की है। प्रदेश में 500 करोड़ रुपए के बजट से हिमगंगा योजना शुरू की जाएगी। इस योजना के तहत किसानों से अच्छी कीमत पर दूध खरीदा जाएगा, ताकि प्रदेश के पशुपालक समृद्ध हो।

इस योजना के तहत पशुपालकों को दूध की ट्रू कॉस्ट बेस्ड कीमत दिलाई जाएगी और दूध खरीद, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की व्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाया जाएगा। हिम गंगा योजना के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि व्यय करने का प्रस्ताव है।

प्रथम चरण में, यह योजना प्रदेश के कुछ क्षेत्रों के किसानों पशुपालकों को जोड़ कर पायलट आधार पर शुरू की जाएगी। इसके परिणाम के आधार पर इसका विस्तार प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में किया जाएगा।

हिम-गंगा योजना को सफल बनाने के लिए प्रदेश में नए मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किए। वर्तमान में स्थापित प्लांट अपग्रेड किए जाएंगे। सभी आवश्यक इन्फ्रास्टक्चर और सप्लाई चेन को योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा।

सहकारी सभाओं का करेंगे गठन

बनखंडी में 300 करोड़ से बनेगा चिडिय़ाघर

कांगड़ा जिला के बनखंडी में 300 करोड़ की लागत से एक बड़े चिडिय़ाघर का निर्माण किया जाएगा। प्रथम चरण में इस पर 60 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 180 हेक्टेयर क्षेत्र में तीन चरणों में इसका निर्माण कार्य किया जाएगा। इसके लिए भूमि का चयन भी कर लिया है।

पर्यटक स्थलों में आधुनिक सुविधाएं

एशियन डिवेलपमेंट बैंक की मदद से सरकार हर टूरिस्ट प्वाइंट को आधुनिक बनाने पर काम करेगी। इसके लिए पूरे प्रदेश में एक हजार 311 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

इसमें पर्यटकों को इलेक्ट्रिक्ल बस, वाटर स्पोट्र्स,थीम्स पार्क व साइड एमिनेट्स जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। वहीं, मंडी शिवधाम का विकास और मनाली में आइस स्केटिंग तथा रोलर स्केटिंग का निर्माण कार्य भी किया जाना है।

खाली पहाडिय़ों पर पौधे लगाएगी सरकार

शिमला । मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार खाली पहाडिय़ों पर पौधारोपण करेगी। इन पौधों की सुरक्षा उसी क्षेत्र के अधीन वन अधिकारी व कर्मचारी करेंगे।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इसके लिए मुख्यमंत्री ग्रीन कवर मिशन को लांच किया जाएगा। इस मिशन के तहत प्रदेश के सभी 12 जिलों में 250 हेक्टेयर क्षेत्र का चयन किया जाएगा।

जाइका परियोजना के तहत शिमला, बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, किन्नौर और लाहुल-स्पीति में चलाई जा रही है। आगामी वित्तीय वर्ष में दो हजार हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। इसके लिए 400 स्वयं सहायता समूहों का सहयोग लिया जाएगा।

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