हमारा देश त्यौहारों का देश है. यहाँ वर्ष के हर दिन कोई न कोई पर्व मनाया जाता है. बहुत से पर्व यहाँ खुशियाँ बांटने और पूरे समाज को आपस में जोड़ने का काम करते हैं. इनमें से कुछ त्यौहार महिलाओं से जुड़े हैं जो अपने परिवार, बच्चों और पति की दीघार्यु और खुशियों की कामना के साथ उपवास रख कर मनाए जाते हैं. जोगिन्दरनगर और इसके आसपास के क्षेत्रों में यह तीज आज बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. सुबह से ही महिलाएं हरतालिका पूजन में व्यस्त हैं.
क्या है हरतालिका तीज
हरतालिका तीज का यह प्रसिद्ध व्रत भादों मास के शुक्लपक्ष में तृतीय को हर वर्ष आता है. इस वर्ष यह तीज 24 अगस्त को मनाया जा रहा है. तृतीया तिथि को किये जाने के कारण स्त्रियों में यह व्रत अधिकतर “तीजों” के नाम से जाना जाता है. कुँवारी लड़कियाँ यह व्रत इच्छित वर पाने के लिए करती हैं जबकि विवाहित स्त्रियाँ सुहाग की रक्षा और पति सुख की कामना करने के लिए करती हैं. प्राचीन काल से चली आ रही मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने वाली स्त्रियाँ पार्वती के समान सुखपूर्वक जीवनयापन करके शिवलोक को प्राप्त होती हैं.
आज ही के दिन हुआ था देवी पार्वती का प्रेम स्वीकार
साल में तीज का त्यौहार तीन बार मनाया जाता है. हरियाली तीज और कजरी तीज में से हरतालिका तीज सबसे महत्वपूर्ण तीज है. देवी पार्वती के ही एक रूप माँ हरतालिका को समर्पित हरतालिका तीज उस दिन की याद में मनाई जाती है जब भगवान शिव ने देवी पार्वती के प्रेम को स्वीकार कर लिया था. इसी वजह से देशभर की महिलाएं इस तीज को बड़े ही उल्लास के साथ मानती हैं.
कुछ महिलाएं रहती हैं निर्जल
हरतालिका के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद श्रृंगार करती हैं. कई जगहों पर 19 श्रृंगार भी किये जाते हैं.इसके बाद महिलाएं मंदिर में भजन कीर्तन करती हैं. कुछ महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत भी रखतीं हैं तथा हरतालिका की कहानी भी सुनाती हैं.
यह है पूजा का मुहूर्त
इस वर्ष हरतालिका तीज का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 22 मिनट से लेकर 8: 54 तक है तथा शाम की पूजा का समय 7 बजे से लेकर 8:27 तक है.
सुबह होगी प्रवाहित
शुक्रवार सुबह हरतालिका को प्रवाहित किया जायेगा. प्रवाह के साथ ही महिलाओं का व्रत भी पूर्ण माना जायेगा. उसके पश्चात ही महिलाएं अन्न ग्रहण कर सकेंगी.
पत्थर चौथ भी है आज
आज पत्थर चौथ भी मनाई जा रही है. किवदंती के अनुसार आज की रात भूल से भी चाँद का दीदार नहीं करना चाहिए नहीं तो अपमान सहना पड़ता है.