मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इंडस्ट्रियल पॉलिसी में संशोधन किए गए है। यह संशोधन राज्य में निवेश लाने के लिए है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश औद्योगिक निवेश नीति-2019 में संशोधन करने और इसके संबंधित नियमों में संशोधन करने की स्वीकृति दी है। इसका लक्ष्य उदार प्रोत्साहन को बढ़ाना है।
कैबिनेट ने कुछ शर्तों के साथ 200 करोड़ से ज्यादा निवेश वाले उद्योगों को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स से छूट दी है। इसमें शर्त यह है कि यह छूट सिर्फ एंकर यूनिट को मिलेगी और वह भी बी और सी कैटेगरी के क्षेत्र में।
यानी या तो नए औद्योगिक क्षेत्र में उद्योग यूनिट लगे या फिर हिमाचल में पहले से स्थापित औद्योगिक क्षेत्र से बाहर।यानी यह छूट बद्दी, बरोटीवाला या नालागढ़ जैसे औद्योगिक क्षेत्र में नहीं मिलेगी।
इस फैसले के तहत राज्य सरकार जीएसटी में करीब पांच फीसदी छूट देगी। पंजाब में संभवतया 15 फीसदी जीएसटी है। इसीलिए हिमाचल सरकार दस फीसदी तक जा सकती है।
राज्य सरकार चाहती है कि हिमाचल में आने वाला निवेश रोजगार के अवसर पैदा करे। इसीलिए सिर्फ बड़े उद्योगों को ही यह छूट दी जा रही है। इन उद्योगों में हिमाचल के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
कैबिनेट की इस बैठक में उद्योगों की इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी काम करने पर हालांकि फैसला नहीं हो पाया, जिसकी उम्मीद थी।
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी बढ़ाने के खिलाफ करीब 20 उद्योग अभी तक हाई कोर्ट जा चुके हैं और उनमें से दस से ज्यादा उद्योगों को अंतरिम राहत के तहत बढ़ी हुई इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी देने से फिलहाल छूट मिल गई है।
राज्य सरकार की ओर से भी इन मामलों में जवाब दायर किया जा चुका है, लेकिन शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह मामला नहीं लगा था। इसलिए फैसला नहीं हो पाया।