अंतिम सफर पर जनरल रावत………….

भारत माता की जय, इंकलाब जिंदाबाद, जनरल सीडीएस रावत अमर रहें, मधुलिका रावत अमर रहें…चारों तरफ आसमान में एक गूंज हैं। दुख तो है मगर चेहरे में उदासी नहीं। अगल-बगल ताबूत में सीडीएस बिपिन रावत हैं और उनके बगल में उनकी पत्नी मधुलिका रावत हैं। दोनों ने एक साथ ही इस देश के लिए अपनी कुर्बानियां दे दीं। पूरे देश का माहौल गमगीन है।

हर आंख नम है। मधुलिका और बिपिन ने आखिरी वक्त पर एक दूसरे को अकेले नहीं छोड़ा। कभी-कभी ख्याल आता है कि एक फौजी की पत्नी हमेशा अपने फौजी पति से तोहफे में उनसे सलामती मांगती है। वह हर तीज त्योहार अपने पति की लंबी आयु मांगती है। जब भी उसकी पति से बात होती है तो बस एक ही वादा करने को कहती है…मुझको अकेले छोड़कर मत जाना। तुमको अगर कुछ भी हो भगवान उससे पहले मुझे उठा ले। मगर देखो तो मधुलिका और बिपिन का मुकद्दर। कभी साथ न छोडऩे वाला वादा। दोनों आज भी साथ है।

आखिरी वक्त भी साथ थे। दोनों अपना वादा निभा गए। देश का कर्ज भी और पत्नी का वादा भी निभाकर रावत हमको रोता छोड़कर चले गए। देश ने एक वीर योद्धा खो दिया। इस योद्धा के साथ उसकी वीरांगना भी तिरंगे के कफन में लिपट गईं। दिल चीरती इस तस्वीर को देखिए। दोनों के ताबूत अगल-बगल। साथ जीने और साथ मरने की कसम आज दोनों ने पूरी कर दी। पूरा देश रो रहा है।

यकीन नहीं हो रहा कि आज वह तेजतर्रार चेहरा, कड़क मिजाज शख्स हमारे बीच नहीं रहा। तिरंगे में लिपटा उनका शरीर ताबूत में बंद है और आस-पास शौर्यता, वीरता के नारे लग रहे हैं। सच तो है, इस वीर ने अपने जिंदगी के 40 साल देश को दे दिए। सैनिकों की पत्नी होना आसान नहीं होता। वे सरहद पर जंग लड़ते हैं तो उनकी पत्नियां परिस्थितियों से जंग लड़ती हैं। सालों इंतजार करती हैं उनसे मिलने का।

उनकी तस्वीरों को सीने से लगाकर बस यादों में बसाकर अपनी जिंदगी का आधा सफर यूं ही बिता देती हैं। मधुलिका रावत का सफर भी ऐसा ही रहा। जब उनकी शादी बिपिन रावत से हुई उस वक्त बिपिन सेना में कैप्टन थे। कई साल उन्होंने अकेले ही बिता दिया। बस कभी कभार बात करके और एक दूसरे का हाल चाल लेकर।

वे इतना जल गए थे कि पहचानना भी मुश्किल था। एक आदमी जिंदा था। हमने उससे कहा कि परेशानी की बात नहीं है। हम मदद के लिए आए हैं। उसने पीने के लिए पानी मांगा। इसके बाद एक चादर में रेस्क्यू टीम और लोकल लोग उस आदमी को लेकर चले गए। तीन घंटे बाद किसी ने मुझे उस व्यक्ति की फोटो दिखाई। बताया कि जिस आदमी से तुम बात कर रहे थे, वह जनरल बिपिन रावत हैं। मुझे भरोसा नहीं हुआ कि जिस आदमी ने देश के लिए इतना कुछ किया, उसे पानी भी नहीं मिल सका। यह सोचकर मैं रातभर सो नहीं पाया।

एस दास ने बताया कि हादसे के बाद वहां का टेम्परेचर काफी बढ़ गया था। हम लोग समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें। हमने पेड़ों की टहनियां टूटने की आवाज सुनीं। एक आदमी मदद के लिए चिल्ला रहा था। उसके बाद ऐसा धमाका हुआ जैसे सिलेंडर फटा हो।

मौके पर मौजूद शंकर ने कहा कि मेरे घर से महज दो मीटर दूर चौपर क्रैश हुआ। किस्मत थी कि मैं और बच्चे वहां नहीं थे। जलते हुए हेलिकाप्टर के आसपास स्थित घरों में भी कोई नहीं था। हादसे के बाद पुलिस ने 500 मीटर के पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी। वहां रहने वालों के अलावा किसी को भी जाने की इजाजत नहीं
थी। इंडियन एयरफोर्स के अफसर चौपर के टुकड़े बटोर रहे थे।

पी चंद्रिकाकुमार ने बताया कि दोपहर का वक्त था, तभी मैंने आवाज सुनी। मैं घर के बाहर भागा और देखा कि एक हेलिकाप्टर पेड़ों में फंस गया है। इसके बाद उसमें आग लग गई और वह नीचे गिर पड़ा। मैंने कुछ लोगों को चीखते हुए भी सुना था।

2020 में तकनीकी दिक्कतों के बाद भी सुरक्षित लैंड करवाया था तेजस तमिलनाडु में किन्नूर के पास हुए हेलिकाप्टर हादसे में इकलौते बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का फिलहाल सेना के अस्पताल में इलाज चल रहा है। गुरुवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी संसद में ग्रुप कैप्टन के स्वास्थ्य की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वरुण सिंह फिलहाल लाइफ सपोर्ट पर हैं और उनको बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है।

ऐसा दूसरी बार है, जब वरुण सिंह ने मौत को मात दे दी। पिछले साल अक्तूूबर में स्वदेशी निर्मित तेजस लड़ाकू विमान को उड़ाते हुए वरुण सिंह बाल-बाल बचे थे। देश के तीसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार- शौर्य चक्र से सम्मानित, वरुण सिंह उसी हेलिकाप्टर में सवार थे, जो सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 14 लोगों को ले जा रहा था। इस जहाज में सवार 13 लोगों का निधन हो गया है।

वरुण सिंह को वीरता पदक तब मिला, जब वह भारतीय वायुसेना के तेजस लड़ाकू स्क्वाड्रन के साथ विंग कमांडर थे। वह विमान के ‘फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और प्रेशराइजेसन सिस्टम की जांच करने के लिए पिछले साल 20 अक्तूबर को नए शामिल तेजस जेट की ट्रायल फ्लाइट पर थे। हालांकि ऊंचाई पर उड़ते समय फाइटर का प्रेशराइजेशन सिस्टम फेल हो गया।

ग्रुप कैप्टन को जैसे ही दिक्कत पता चली, तो उन्होंने लैंडिंग के लिए कम ऊंचाई पर उतरने का फैसला किया, लेकिन उनकी दिक्कत यहीं खत्म नहीं हुई। इस दौरान उड़ान नियंत्रण प्रणाली भी फेल हो गई, जिससे विमान पर उनका नियंत्रण नहीं रहा। विमान तेजी से नीचे गिरता रहा और इस दौरान जहाज में झटके भी लग रहे थे।

इन सब खामियों के बीच ग्रुप कैप्टन ने विमान पर नियंत्रण हासिल कर लिया। ऐसा दूसरी बार भी हुआ, लेकिन उन्होंने विमान को छोडऩे और खुद एग्जिट होने बजाय इसे नियंत्रण में लाने और इसे सुरक्षित रूप से उतारने का फैसला किया। उनके शौर्य चक्र पत्र में कहा गया है कि इसके जरिए विमान में खामियों का सटीक विश्लेषण करने में मदद मिली।

ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के डिफेंस असिस्टेंट थे। वह पंचकूला के रहने वाले थे और सेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजे गए थे

हवलदार सतपाल राई जनरल रावत के पीएसओ थे। वह पश्चिम बंगाल के दार्जिंलिंग जिला के तकडाह के रहने वाले बताए जा रहे हैं। दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट ने इसकी जानकारी शेयर की है

जूनियर वारंट आफिसर (जेडब्ल्यूओ) राणा प्रताप दास ओडिशा के तालचेर जिला के निवासी थे

लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह जनरल रावत के स्टाफ आफिसर थे। वह राजस्थान के अजमेर जिला के रहने वाले थे

27 साल के लांस नायक बी साई तेजा – 11 पैरा (स्पेशल फोर्सेस) में तैनात थे। वह जनरल रावत के पीएसओ थे और आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिला के निवासी थे।

जूनियर वारंट आफिसर (जेडब्ल्यूओ) अरक्कल प्रदीप केरल के त्रिची जिला के रहने वाले थे

नायक गुरसेवक सिंह पंजाब के तरनतारन जिला के दोदे गांव के रहने वाले थे। गुरसेवक सिंह आर्मी की 9 पैरा स्पेशल फोर्स यूनिट में तैनात थे

1 पैरा (स्पेशल फोर्सेस) के लांस नायक विवेक कुमार जनरल रावत के पीएसओ (पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर) थे। वह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के जयसिंहपुर के रहने वाले थे

स्क्वॉड्रन लीडर कुलदीप सिंह दुर्घटनाग्रस्त होने वाले विमान के को-पायलट थे। उनके पिता रणधीर सिंह राव एक्स नेवी अफसर हैं। उनकी बहन भी इंडियन नेवी में है। वे माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उनकी शादी दो साल पहले ही हुई थी।

3 पैरा स्पेशल फोर्सेस के जवान जितेंद्र कुमार (31 साल) मध्यप्रदेश के सीहोर के धामंदा गांव के रहने वाले थे। वह 2011 में सेना में भर्ती हुए थे। उनकी मां बीमार हैं, इसलिए उन्हें बेटे के शहीद होने की सूचना अब तक नहीं दी गई है

पृथ्वी सिंह चौहान आगरा के रहने वाले थे। 2000 में उनकी वायुसेना में ज्वाइनिंग हुई थी। वर्तमान में वो कोयंबटूर के पास एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थे। वे अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उनकी तीन बड़ी बहनें थीं। ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के डिफेंस असिसटेंट थे। वे पंचकुला के रहने वाले थे और सेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजे गए थे।

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