आप सभी को भगवान श्री गणेश चतुर्थी की बधाई एवं शुभकामनाएं। मंगलवार को गणेश चतुर्थी और पत्थर चौथ मनाई जा रही है।

पत्थर चौथ, जिसे कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। उत्तर भारत में पत्थर चौथ 2025 की तिथि 26 अगस्त है।
भारत के पश्चिमी भागों में यह 27 अगस्त को मनाया जाएगा। यदि चंद्रोदय और चतुर्थी तिथि 26 अगस्त, 2025 को हो (ऐसे क्षेत्रों में यह अनुष्ठान 26 अगस्त को किया जाना चाहिए)।
पत्थर चौथ गणेश चतुर्थी उत्सव से एक दिन पहले या उसी दिन मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए और विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा को पत्थर चौथ का चंद्रमा कहा जाता है।
पत्थर चौथ से जुड़ी एक प्रचलित मान्यता यह है कि गणेश चतुर्थी के दिन चाँद देखने से दुर्भाग्य आता है। दुर्भाग्य से बचने के लिए लोग अपने ही घर पर पत्थर फेंकते हैं और अपशब्दों का प्रयोग करते हैं। इस परंपरा को पत्थर चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
कुछ उत्तर भारतीय क्षेत्रों में ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने अपने भक्तों की प्रार्थना के उत्तर में इस दिन पृथ्वी पर उत्पात मचाने वाले राक्षसों का वध किया था।
पत्थर चौथ मनाने के कई अलग-अलग कारण हैं और यह क्षेत्र दर क्षेत्र अलग-अलग होता है।
यदि आपने गलती से इस दिन चंद्रमा को देख लिया है, तो दुर्भाग्य से छुटकारा पाने के लिए आप ‘ओम नमः शिवाय’ का 108 बार जाप कर सकते हैं।
कब से शुरू होता है गणेश महोत्सव?
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश महोत्सव शुरू होता है। वहीं, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। दस दिवसीय गणेश महोत्सव देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।
कब मनाई जाती है हरतालिका तीज?
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है। इसके अगले दिन गणेश महोत्सव शरू होता है।
इस साल 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शुरू हो गई है। वहीं, 26 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 54 मिनट पर तृतीया तिथि समाप्त होगी।
ज्योतिषियों और वेदाचार्यों की मानें तो 26 अगस्त को हरतालिका तीज मनाई जाएगी।
कब मनाया जाएगा चौरचन?
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चौरचन मनाया जाता है। यह पर्व बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है।
मैथिली पंचांग के अनुसार, 26 अगस्त को चंद्र देव को समर्पित चौरचन मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर संध्याकाल में चंद्र देव की पूजा की जाती है।
कब से शुरू होगा गणेश महोत्सव?
सनातन धर्म में निशा काल पूजा को छोड़कर अन्य सभी पूजा में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए गणेश चतुर्थी पर उदया तिथि से गणना की जाएगी।
इस प्रकार 27 अगस्त से गणेश महोत्सव की शुरुआत होगी। वहीं, 06 सितंबर को गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 28 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 14 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 52 मिनट पर
चंद्रास्त- शाम 08 बजकर 28 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 03 बजकर 58 मिनट से 04 बजकर 43 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 14 मिनट से 06 बजकर 36 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 11 बजकर 28 मिनट से 12 बजकर 13 मिनट तक
जय श्री गणेश