शिमला : हिमाचल प्रदेश में अब मनरेगा के कार्यों की निगरानी ड्रोन से होगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
इसके अनुसार ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल मनरेगा में कार्य निरीक्षण और परिसंपत्तियों की गुणवत्ता देखने के लिए किया जाएगा। राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग को भी इसे लागू करने के लिए कहा गया है।
इन दिशा-निर्देशों के अनुसार मनरेगा में निगरानी के लिए दो तरह के ड्रोन इस्तेमाल किए जा सकेंगे। यह एक तो नैनो ड्रोन होंगे, जो 250 ग्राम के बराबर या इससे कम होंगे।
इनके अलावा माइक्रो ड्रोन होंगे, जो 250 ग्राम से ज्यादा और दो किलोग्राम के बराबर या इससे कम होंगे।
ड्रोन का इस्तेमाल जिओ रेफरेंस इमेज को कैप्चर करते हुए चल रहे कार्य की शुरुआत और इन कार्यों को लागू करने के दौरान किया जा सकेगा। कार्यों का निरीक्षण भी किया सकेगा।
इन ड्रोन का इस्तेमाल कार्य और परिसंपत्तियों के बारे में आई शिकायतों की जांच के लिए भी किया जा सकेगा। ड्रोन की खरीद मनरेगा के फंड से नहीं की जा सकेगी।
इसके लिए हालांकि, ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करने वाली एजेंसी को हायर किया जा सकेगा। इसके लिए खर्च मनरेगा के तहत प्रशासनिक कंटीजेंसीज में आने वाले फंड से किया जाएगा।
ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल से कोई भी मनुष्य हस्तक्षेप के बिना धरातल पर गतिविधियों को देख सकता है।