राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है. उन्होंने कहा कि पहले परिवर्तन की गति इतनी तेज नहीं थी. आज हम चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में हैं.
सोमवार को धर्मशाला स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसे नए क्षेत्र तेजी से उभर रहे हैं.
21वीं सदी की शुरुआत में कोई नहीं जानता था कि अगले 20 या 25 सालों में लोगों को किस तरह के कौशल की जरूरत होगी. इस तरह मौजूदा कौशल भविष्य में भी उपयोगी नहीं रहेंगे.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ‘कवि शिरोमणि रविन्द्रनाथ टैगोर कवि और संगीतकार के साथ महान शिक्षाविद एवं शिक्षक भी थे. इसलिए उन्हें गुरुदेव कहा जाता है. उनका मानना था कि प्रकृति छात्रों की सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है.
राष्ट्रपति ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की धरती प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती है. उन्होंने प्रदेश के वातावरण की तारीफ की. उन्होंने कहा कि हिमाचल के वातावरण में सुखद अनुभूति का एहसास होता है.
दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति का संबोधन
राष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं चाहती हूं कि आप सभी कितनी भी मुश्किल परिस्थिति में हों, बुराई को कभी भी हावी न होने दें. बुराई का मार्ग कितना भी सुगम क्यों न हो, हमेशा अच्छाई का ही पक्ष लें.
करुणा, कर्तव्यनिष्ठा और संवेदनशीलता जैसे मानवीय मूल्यों को अपने जीवन का आदर्श बनाएं. मूल्यों पर आधारित आपका जीवन सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होगा.’
स्टूडेंट्स को भविष्य के लिए दी सलाह
राष्ट्रपति ने कहा कि हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों की क्षमता होती है. इसलिए कितनी भी कठिन परिस्थिति में क्यों न हों, कभी भी बुराई को हावी न होने दें.
छात्रों को हमेशा अच्छाई का पक्ष लेना चाहिए. राष्ट्रपति ने छात्रों से करुणा, कर्तव्यनिष्ठा और संवेदनशीलता जैसे मानवीय मूल्यों को आदर्श बनाने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि मूल्यों के आधार पर सफल और सार्थक जीवन जी सकते हैं. युवाओं में विकास की अपार संभावनाएं जताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं, इसलिए राष्ट्र के प्रति समर्पित होना चाहिए.
बता दें कि राष्ट्रपति की द्रौपदी मुर्मू पांच दिवसीय हिमाचल प्रवास पर थीं. दीक्षांत समारोह में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल भी मौजूद रहे.