हिमाचल प्रदेश में चिकित्सक गुरुवार को काले बिल्ले लगाकर ड्यूटी पर आएंगे। हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ ने यह फैसला किया है। चिकित्सक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपलों और चिकित्सा अधीक्षकों की शक्तियां न लौटाने से नाराज हैं।
दरअसल, प्रदेश में अनुबंध पर नियुक्त विशेषज्ञ चिकित्सकों को 33 हजार 660 रुपए वेतन के रूप में दिया जा रहा है, जो कि पूरे भारतवर्ष में सबसे कम है। मुख्यमंत्री ने 3 जून को एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का भार भी स्वास्थ्य निदेशक को लौटाने की बात कही थी।
साथ ही मेडिकल कॉलेज में प्रधानाचार्य और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधीक्षक की शक्तियों को भी संशोधन के साथ लौटाने पर सहमति जताई थी, लेकिन अब सात महीने बीत जाने के बाद भी पालन न होने पर चिकित्सा समुदाय में रोष है।
संघ के महासचिव विकास ठाकुर का कहना है कि मुख्यमंत्री के साथ 3 जून को हुई बैठक में प्रिंसिपलों और चिकित्सा अधीक्षकों की शक्तियां वापस लौटने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन यह शक्ति अभी तक वापस नहीं लौटाई गई है।
स्थिति यह है कि इनके पास अपने स्टाफ को छुट्टी तक देने की भी शक्ति या पावर नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में चिकित्सक दुर्गम क्षेत्रों में भी दिन-रात अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और उन्हें और केंद्रीय सरकार या बिहार जैसे अन्य राज्यों की अपेक्षा में बहुत ही कम वेतन दिया जा रहा है।
उनके बाद एनपीए को पेंशन की गणना से हटाना भी एक दुर्भाग्यपूर्ण विषय है। इन सभी बातों को देखते हुए प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ 18 जनवरी से काले बिल्ले लगाकर विरोध करेगा।