धनतेरस से दीपावली के त्यौहार का आरंभ माना जाता है। धनतेरस इस बार 10 नवंबर को मनाई जाएगी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई है। इस दिन धन के देवता कुबेरजी और धन की देवी मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
इस दिन सोने-चांदी के अलावा बर्तनों की खरीद करते हैं। ऐसी मान्याता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुरओं में 13 गुना वृद्धि होती है। धनतेरस के त्योकहार को विधि विधान से मनाने पर आपको वर्ष भर धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर – जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 10 नवंबर को दोपहर में 12:35 मिनट से होगा।
यह तिथि अगले दिन 11 नवंबर को दोपहर में 1:57 मिनट तक रहेगी। चूंकि धनतेरस का त्यौहार प्रदोष काल में मनाने की परंपरा है, इसलिए यह शु्क्रवार 10 नवंबर को मनाई जाएगी। धनतेरस जिसे धन त्रयोदशी और धन्वन्तरी जयंती भी कहते हैं पांच दिवसीय दीपावली का पहला दिन होता है।
धनतेरस के दिन से दीपावली का त्यौहार प्रारंभ हो जाता है। मान्यता है इस तिथि पर आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरी समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हो हुए थे। इसी कारण से हर वर्ष धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा निभाई जाती है।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शु्क्रवार 10 नवंबर धनतेरस पर सबसे शुभ मुहूर्त रहेगा। धनतेरस पर 4 राजयोग और एक 1 शुभ योग बन रहा है, इस तरह 5 योगों का महासंयोग 10 नवंबर को रहेगा। धनतेरस पर वैसे भी सोना-चांदी और बर्तन खरीदने की परंपरा रही है।
इस बार इन 5 योगों के कारण ये और भी खास हो जाएगी, प्रीति, वरिष्ठ, सरल, शुभकर्तरी और सर्वार्थसिद्धि योग शामिल हैं। इन शुभ योग में की गई खरीदारी और शुरुआत लंबे वक्त तक फायदा देने वाली रहेगी। इन शुभ योग में किए कामों में सफलता की संभावना और बढ़ जाती है।