हिमाचल प्रदेश में धरने प्रदर्शन जयराम सरकार के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। इतने प्रदर्शन चार साल में नहीं हुए जितने सरकार के बीते तीन महीने के कार्यकाल में हो गए हैं। सरकार का यह चुनावी वर्ष है। अपनी मांगे मनवाने के लिए कर्मचारी और कारोबारी प्रदर्शन पर जोर दे रहे हैं।
तीन-चार महीने के भीतर हिमाचल में 8 से 10 कर्मचारी संघों ने प्रदर्शन किए हैं। परिवहन निगम में तैनात पीसमील वर्करों ने अनुबंध पर आने के लिए करीब 20 दिन तक हड़ताल की। अंत में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को हस्तक्षेप करना पड़ा। मंडी में सीएम ने वर्करों के लिए पॉलिसी बनाने की बात कही। यह मामला शांत होने के बाद पुलिस कर्मचारी पे बैंड की मांग पर सीएम आवास पहुंच गए। पूर्ण राज्यत्व दिवस पर इनकी मांगें मान ली गईं।
परिवहन संयुक्त समन्वय समिति ने भी वित्तीय लाभों के लेकर हड़ताल पर जाने का फैसला लिया। उन्हें भी आश्वासन देकर शांत कराया गया। स्वास्थ्य विभाग में तैनात एनएचएम अधिकारियों और कर्मचारियों ने रेगुलर पे स्केल को लेकर हिमाचल में एक दिन का प्रदर्शन किया। अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने के बाद इनकी मांगें मान ली गईं।
इन दिनों ठेकेदार डब्ल्यू एक्स फार्म को लेकर की गई सख्ती और जीएसटी का भुगतान न होने पर हड़ताल पर हैं। 102 और 108 एंबुलेंस कर्मचारी भी एनएचएम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्हें स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दे रही कंपनी ने नौकरी से निकाला है।
अब मेडिकल अफसर 10 फरवरी से पेन डाउन हड़ताल पर जा रहे हैं। इन्होंने भी ओपीडी को कुछ समय तक सेवाएं न देने की चेतावनी दी है। यह कर्मचारी भी पे बैंड को लेकर प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस बेरोजगारी को लेकर बजट सत्र के दौरान बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है। पार्टी में इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि सरकार ने बेरोजगारों के साथ धोखा किया है। ऐसे में प्रदेश भर में आंदोलन होगा।