हिमाचल सरकार कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बंदिशों पर बुधवार को फैसला लेगी। मंत्रिमंडल की बैठक में इस बारे में स्वास्थ्य विभाग आकलन के आधार पर एक प्रेजेंटेशन देने जा रहा है। हिमाचल के पड़ोसी राज्यों में ये बंदिशें पहले ही लागू हो चुकी हैं। अब दिल्ली में जहां वीकेंड कर्फ्यू की तरफ कदम बढ़ाया गया है, वहीं पंजाब और हरियाणा ने भी सभी शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए हैं।
ऐसे में हिमाचल सरकार को भी कुछ कदम उठाने होंगे। राज्य में हालांकि कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या ऐसी नहीं है कि कोई बड़ी बंदिशें लगाने की मजबूरी हो, लेकिन भारत सरकार की एडवायजरी के आधार पर फिर भी फैसला होगा। राज्य सरकार के सामने अभी सोशल गैदरिंग पर शर्तें लगाने, मास्क को जरूरी करने और नाइट कर्फ्यू जैसे विकल्पों पर फैसला लेने का विचार चल रहा है।
हालांकि सरकारी दफ्तरों को 50 फीसदी ऑक्युपेंसी पर चलाने या वर्क फ्रॉम होम करने जैसे बड़े फैसले की तरफ राज्य सरकार शायद न जाए। सोशल गैदरिंग को कम करने के लिए सार्वजनिक कार्यक्रमों में रोक लग सकती है और बाजारों के खुलने और बंद होने का टाइम भी नए सिरे से तय हो सकता है।
यह बात अलग है कि हिमाचल का आम नागरिक कड़ी बंदिशों के हक में अभी नहीं है। इससे पहले भारत सरकार खुद सरकारी दफ्तरों में केंद्रीय कर्मचारियों की संख्या 50 फीसदी कर चुकी है। राज्य में स्कूल फिलहाल बंद हैं और समर क्लोजिंग स्कूल आठ जनवरी से दोबारा खुल रहे हैं।
विंटर क्लोजिंग स्कूलों में फरवरी तक छुट्टियां हैं। इसी तरह कालेज भी बंद हैं। इसलिए स्कूलों को लेकर यदि फैसला लेना हो, तो सिर्फ समर क्लोजिंग स्कूलों को लेकर कैबिनेट में विचार होगा। स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी का कहना है कि पूरे देश की तरह राज्य में भी कोरोना के केस एकदम बढ़ रहे हैं और पिछले चार दिन में लगातार वृद्धि हो रही है।
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देश में अब तीसरी लहर ज्यादा दूर नहीं है, इसलिए सावधानी बरतनी होगी। कैबिनेट में भी इसी तरह आंकड़ों की प्रोजेक्शन से मामला रखा जाएगा। बंदिशों के लिए कुछ विकल्प भी कैबिनेट के सामने रखे जा रहे हैं और फैसला मंत्रिमंडल को ही लेना है।