यहाँ गर्म पानी से बनता है खाना

    कुल्लू: जिन पर्यटकों के अंदर प्रकृति की वादियों से रू-ब-रू होने की ललक है और जिन्हें रोमांच पसंद है उन्हें हिमाचल की यात्रा जरूर करनी चाहिए. वैसे तो हिमाचल में हर जगह हरियाली है, लेकिन यहां की प्राकृतिक खूबसूरती की बात कुछ और ही है. क्योंकि यहां धार्मिक आस्था घुली हुई है. हिमाचल में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई टूरिस्ट स्पॉट हैं. इनमें से एक है मणिकर्ण. मणिकर्ण कुल्लू से 35 कि.मी. की दूरी पर स्थित है.

    27 सितंबर को वर्ल्ड टूरिज्म डे है और इस मौके पर हम आपको यहां की कुछ बातों से रू-ब-रू करा रहे हैं. कहते हैं यहां महाराज मनु ने मणिकर्ण में ही मनुष्य के जीवन को दोबारा उत्पन्न किया था. जिसके बाद यह एक धार्मिक स्थल बना था. यहां मंदिर और गुरुद्वारा काफी प्रसिद्ध हुए. बताया जाता है कि यहां लोग अकसर धार्मिक श्रद्धा की वजह से आते हैं, लेकिन यहां की प्राकृतिक खूबसूरती भी उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती है. मणिकर्ण में बर्फ खूब पड़ती है, मगर ठंड के मौसम में भी गुरुद्वारा परिसर के अंदर बनाए विशाल स्नानास्थल में गर्म पानी में आराम से नहाया जा सकता है.

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    जहां पहाड़ियों के बीच से बहते झरने आपको इसकी खूबसूरती निहारने के लिए मजबूर कर देंगे. यहां काफी विदेशी पर्यटक भी आते हैं. यहां भूख को मिटाने का बेहतरीन इलाज कोई होटल या रेस्टोरेंट नहीं बल्कि यहां का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है. जहां लंगर की अपनी एक खासियत है. मणिकर्ण अपने गर्म पानी के चश्मों के लिए भी प्रसिद्ध है. बता दें कि यहां लंगर में बनने वाला खाना, गर्म पानी के मठ से ही तैयार होता है. इसके लिए गैस सिलेंडर की जरूरत नहीं होती. इन्हीं गर्म चश्मों में गुरुद्वारे के लंगर के लिए बडे-बडे गोल बर्तनों में चाय बनती है, दाल व चावल पकते हैं.

    पर्यटकों के लिए सफेद कपड़े की पोटलियों में चावल डालकर धागे से बांधकर बेचे जाते हैं. विशेषकर नवदंपती इकट्ठे धागा पकडकर चावल उबालते देखे जा सकते हैं, ये पहला खुला रसोईघर है और सचमुच रोमांचक भी है. यहां पानी इतना गर्म होता है कि भूमि पर पैर नहीं टिकते. इसके लिए एक ही रास्ता निकलता है, जो आपको धर्म से बढ़कर इंसानियत पर विश्वास दिलाने की बात करता है.