हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में मत्स्य आखेट पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। यह रोक सामान्य जल में 16 जून से लेकर 15 अगस्त तक लागू रहेगा। इस बीच जलाशयों में मछली पकड़ने पर पूर्णतया प्रतिबंध रहेगा। यह बात निदेशक एवं प्रारक्षी मत्स्य हिमाचल प्रदेश विवेक चंदेल ने बताई है।
हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग का दायित्व है कि उपरोक्त सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर रूप से आजीविका के लिए मछली मिलती रहे।
इसी उद्देश्य के दृष्टिगत प्रत्येक वर्ष मत्स्य पालन विभाग सामान्य जल व जलाशयों में दो माह के लिए मछली पकडऩे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाता है, जिससे प्राकृतिक रूप से प्रजनन करने वाली मछलियों की विभिन्न प्रजातियां सफलतापूर्वक प्रजनन कर सकें व प्राकृतिक रूप से विभिन्न जल क्षेत्रों में मछलियों की उपयुक्त संख्या बनी रहे।
इस बंद सीजन का कार्यान्वयन मात्स्यिकी अधिनियम 1976 व हिमाचल प्रदेश मात्स्यिकी नियम 2020 के अंतर्गत किया जाता है। विभाग ने प्रदेश के मुख्य जलाशयों के विभिन्न मंडलों में अवैध शिकार को रोकने के लिए विभिन्न निरीक्षण टीमों का गठन किया है तथा उडऩ दस्ते सडक़ मार्ग से निरंतर गश्त करेंगे।
मछली पकड़ने पर एक हजार जुर्माना और कैद
यदि कोई मछली पकड़ता पाया जाता है, तो छह माह तक की कैद तथा 300 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक जुर्माना राशि अथवा दोनों का प्रावधान है। किसी भी नागरिक के द्वारा नियमों की अवहेलना करने पर मात्स्यिकी अधिनियम 1976 व मात्स्यिकी नियम 2020 के अनुरूप सख्त कार्रवाई की जाएगी।
5000 मछुआरे पंजीकृत
प्रदेश के पांच जलाशयों गोविंदसागर, पौंगडैम, चमेरा डैम, कोल डैम व रणजीत सागर बांध में 5000 से अधिक मछुआरे मछली पकडऩे का कार्य कर रहे हैं तथा इन जलाशयों का कुल क्षेत्रफल 43785 हेक्टेयर है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में विभिन्न मुख्य नदियों व उनकी सहायक नदियों में 6000 मछुआरे मछली पकडऩे का कार्य करते हैं।