जोगिन्दरनगर : भारत सरकार ने जोगिन्दरनगर और बरोट में स्थित शानन बिजली प्रोजेक्ट के झगड़े में हस्तक्षेप करने से पहले कानूनी राय मांगी है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने विधि मंत्रालय को यह मामला रैफर किया है।
यह राय आने के बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह इस विवाद में अपना स्टैंड बताएंगे। इस पूरे मामले में यदि केंद्र सरकार ने हिमाचल की मदद की, तो राज्य लीगल लड़ाई से बच सकता है और प्रोजेक्ट भी हाथ में आ सकता है।
गौरतलब है कि शानन बिजली प्रोजेक्ट की लीज दो मार्च, 2024 को पूरी हो रही है। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस प्रोजेक्ट को वापस चाहते हैं,
जबकि पंजाब सरकार यह दावा कर रही है कि पंजाब रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1966 के तहत हुए प्रॉपर्टी के बंटवारे में यह प्रोजेक्ट पंजाब को मिला है, इसलिए लीज की अवधि सेकेंडरी सब्जेक्ट है।
इस तर्क को हिमाचल सरकार नहीं मानती, इसलिए मुख्यमंत्री सुक्खू ने 29 मई, 2023 को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह से मिलकर एक ज्ञापन दिया था।
इस ज्ञापन में कहा गया था कि पंजाब रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1966 में केंद्र सरकार के पास फैसला लेने का अधिकार है। केंद्र सरकार इसमें मदद करे, ताकि अनावश्यक लिटिगेशन से बचा जा सके।
इस ज्ञापन के आधार पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने अब विधि मंत्रालय को मामला भेजा है और यह पूछा है कि दोनों राज्यों के दावों में से किसका दावा सही है?
हालांकि पंजाब सरकार की ओर से कोई ज्ञापन इस तरह का नहीं है, लेकिन पंजाब रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट के प्रावधानों के आधार पर विधि मंत्रालय अपनी सलाह देगा।
इसके बाद ही केंद्र सरकार तय करेगी कि इस प्रोजेक्ट को किसके हवाले करना है?
110 मेगावाट का शानन बिजली प्रोजेक्ट यदि हिमाचल को मिल जाए, तो सालाना 200 करोड़ की अतिरिक्त आय हो जाएगी। यही वजह है कि इस प्रोजेक्ट की सारी संपत्तियां हिमाचल सरकार अब वापस चाहती है।