9 मार्च शनिवार से मंडी में शुरू होने वाले अंतराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने के लिए लगभग 110 के देवी देवता छोटी काशी पहुंच गए हैं। देवी देवताओं के पहुंचने के साथ ही छोटी काशी का नजारा स्वर्ग की तरह हो गया है।
पूरा दिन गूंजती रही देव ध्वनि
पूरा दिन और रात को भी छोटी काशी देवध्वनियों से गूंजती रही। देवी देवताओं ने छोटी काशी पंहुचकर सबसे पहले माधो राय मंदिर के शीश नवाजा उसके बाद राजा के बेड़े में जाकर उनका आतिथ्य सत्कार स्वीकार किया। बता दें कि गुरूवार को शिवरात्रि महोत्सव के लिए बड़ादेव कमरूनाग के साथ ही 6 अन्य देवी देवता भी पहुंच गए थे।
लोगों ने लिया आशीर्वाद
वहीं शुक्रवार को पराशर ऋषि , चौहार घाटी और सराज घाटी के देवी देवताओं ने भी मंडी पंहुचकर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया। छोटी काशी मंगलमयी देव ध्वनियों से गूंज उठी। लोग देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर दूर से छोटी काशी पहुंचे। अपने अपने ईष्ट देव देवियों के दर्शन और उनका आशीर्वाद लेने के लिए नगर में जन सैलाब सा उमड़ रहा था।
देवी देवताओं का आपस में मिलन देख श्रृद्घालु भी भावविभोर हो गए। सुबह से ही छोटी काशी में देवी देवताओं का आना शुरू हो गया था। शिवरात्रि की जलेब से जलेब से पहले सभी देवी देवता छोटी काशी पंहुच जाते हैं। उसके बाद शिवरात्रि पर्व पर निकलने वाली जलेब में सभी देवी देवता शामिल होते हैं।
पहुंचे चौहार घाटी के देवता
शुक्रवार को चौहार घाटी के देवता हुरंग नारायण, पशाकोट, बिट्ठु नारायण, सराज और छतरी के देवी देवता सहित मगरू महादेव, खुढी जहल, बायला नारायण, बालाकामेश्वर, देवी नव दुर्गा, बाडु बाड़ा, बड़ी माता मैहणी, धारा नागण, देवता श्री गणपति, सोना सिंहासन, देव चुंजवाला, चपलांदू नाग, देवी वायला, देव माहूनाग, आदी ब्रहमा सहित लगभग 110 देवी देवता छोटी काशी पंहुचे हैं। शाम करीब छह बजे तक देवी देवताओं ने मंडी पंहुचकर माधो राय मंदिर में शीश नवाजा।
बालूनाग के दर्शनों को उमड़े लोग
कई वर्षों बाद पहुंचे दो देवता
एक शताब्दी की दूरियां और सीमाओं के बंधन तोड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में दो प्राचीन देवता अनंत बालूनाग बंजार और खुड्डी जहल आनी भी शुक्रवार को शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने के लिए मंडी पहुंचे। दोनों देवताओं के दर्शनों को लोग उमड़ पड़े। अनंतबालू नाग का जहां 144 वर्षो बाद शिवरात्रि महोत्सव में पधारना हुआ तो वहीं खुड्डी जहल देवता 100 वर्ष बाद शिवरात्रि में पधारे। दोनों देवताओं के संग हजारों देवलू आए हैं।
राजा के बेहड़े में हुआ पराशर ऋषि का स्वागत
मंडी के अधिष्ठाता पराशर ऋ षि का स्वागत राजा द्वारा किया गया। वहीं उनसे मिलने के लिए माधव राय की पालकी भी राजा के बेहड़े लाई गई। बता दें कि पराशर ऋ षि माधव राय से मिलने उनके मंदिर नहीं जाते बल्कि माधव राय की पालकी उनसे मिलन के लिए लाई जाती है। दोनों का मिलन राजा के बेहड़े में होता है। पराशर ऋ षि शुक्रवार को करीब चार बजे राजा के बेहड़े पंहुचे यहां पर राज परिवार ने ऋषि पराशर का स्वागत करने के बाद उनकी पूजा अर्चना की।
150 किलोमीटर पैदल चलकर आए मगरू महादेव
मंडी शहर से मगरू महादेव स्थल तक छतरी के लिए करसोग व जंजैहली से होकर पहुंचा जा सकता है। मगरू महादेव शिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने के लिए 150 किलोमीटर की दूरी तय करके मंडी पहुंचते हैं। मगरू महादेव छतरी से देवी देवताओं के साथ शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होते हैं और चौहटा में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं।
चौहारघाटी के देवताओं की अनूठी छवि
देवी देवताओं के महामिलन के पर्व शिवरात्रि महोत्सव में चौहारघाटी से आने वाले देवताओं की शैली अनूठी अलग होती है। जब यह देवता मेले के दौरान छोटी काशी पहुंचते हैं और पड्डल मैदान में विराजमान होते हैं तो किसी हर किसी ध्यान इनकी व आकर्षित हो जाता है। यह देवता एक साथ ही शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होते हैं और जलेब में भी एक साथ चलते हैं। चौहारघाटी के बड़ादेव हुरंग नारायण, देव पशाकोट और देव पेखरी के गहरी संग अन्य देवता भी मंडी पधारे हैं।
उद्घाटन और समापन
हर साल की तरह इस साल भी हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी कही जाने वाली मंडी नगरी में 9 मार्च से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. मेले में 200 से ज्यादा देवी देवता शिरकत करेंगे.
इस बार मेले और सांस्कृतिक संध्याएं थीम बेस्ड रहेंगी. मेले का शुभारंभ प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू करेंगे. 15 मार्च को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला मेले का विधिवत समापन करेंगे.