जोगिंद्रनगर: द्रंग विकास खंड की रोपा पद्धर पंचायत के छाणंग गांव में गरीबी व बदनसीबी के साये में जी रहे 2 परिवारों को भूखे मरने की नौबत आ गई है। अति देवी के परिवार की गरीबी उस समय जगजाहिर हुई जब अति देवी के पति का देहांत गत सप्ताह अस्पताल में हो गया।
शव को घर ले जाने में थे असमर्थ
गरीबी की हालत यह है कि अति देवी के पास मात्र 20 रुपए थे, जिसके चलते वह शव को घर ले जाने में असमर्थ दिख रही थी लेकिन ऐन मौके पर ऊहल परियोजना के एक अधिकारी मदद को आगे आए और उन्होंने अति देवी को कुछ पैसे देकर उसके पति के शव को घर पहुंचाने व अंतिम संस्कार का इंतजाम किया।
खाने को नहीं है अन्न
अब अति देवी व उसकी सास ही इस दुनिया में रह गई हैं और हालात ये हैं कि दलित जाति की इन 2 महिलाओं के पास खाने को अन्न तक नहीं है। इसी गांव के वृद्ध व गूंगे-बहरे पतलू राम की हालत भी ऐसी ही है। पत्नी भी बोलने में असमर्थ है और चल-फिर भी नहीं सकती है। हालत यह है कि घर में खाने को दाना तक नहीं है।
बेहद गरीबी का कर रहे सामना
एक बेटा व बहू है, वे भी शारीरिक रूप से इतने योग्य नहीं हैं कि दाल-रोटी का इंतजाम कर सकें। ऐसे में ये दोनों परिवार बेहद गरीबी के दौर से गुजर रहे हैं और अगर प्रशासन इनकी सहायता को आगे नहीं आया तो कभी भी भूख से इन परिवारों की जीवन रूपी लीला खत्म हो सकती है।
सहायता के लिए आगे आये कुछ लोग
सहायता के लिए उठे हाथ अस्पताल में मौत के बाद पति के शव को घर ले जाने में असमर्थ एक अबला की कहानी जब कुछ लोगों को पता चली तो वे सहायता के लिए आगे आए। डाक्टर अवनि शर्मा, मेघ सिंह, चंद्रपाल, रमेश कुमार, दुनी चंद दोनों परिवारों के घर गए और उनको अनाज के साथ-साथ सोने के लिए रजाई आदि देकर राहत पहुंचाई लेकिन देर-सवेर इन परिवारों का क्या होगा यह चिंता का विषय है।
खान -पान का किया जाए प्रबंध
पंचायत के प्रधान राकेश कुमार ने कहा कि दोनों ही परिवार बेहद गरीब हैं और ऐसी परिस्थितियों से गुजर रहे हैं कि खाने-पीने के भी मोहताज हो जाते हैं। इन परिवारों की सहायता के लिए प्रशासन व आम लोगों को आगे आना चाहिए ताकि इनके खान-पान का पक्का प्रबंध हो सके।