मार्च में 1.5 फीसदी और अप्रैल से 0.25 फीसदी एरियर देने के आदेश एक दिन भी नहीं टिक पाए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हस्तक्षेप के बाद वित्त विभाग के अधिकारियों को इन्हें वापस लेना पड़ा है। ये आदेश सोमवार को जारी किए गए थे और मंगलवार को वापस ले लिए गए।
मंगलवार को मिला महासंघ
मंगलवार सुबह ही सचिवालय कर्मचारियों के महासंघ ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री से मुलाकात की और उन्हें कर्मचारी और पेंशनरों की दोनों नोटिफिकेशन बताई। सचिवालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा के साथ अन्य चार संगठनों के प्रतिनिधि भी थे।
गलत थे आदेश
इससे पहले शिक्षा विभाग, बिजली बोर्ड और प्रदेश विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने भी इन आदेशों को गलत बताया था। फीडबैक मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग के अधिकारियों को इन्हें संशोधित करने को कहा।
शाम तक संशोधन पर चर्चा पूरी न होने के कारण वित्त विभाग ने दो अलग-अलग आदेश जारी कर सरकारी कर्मचारी और पेंशनरों के वेतन आयोग एरियर और महंगाई भत्ते के एरियर को लेकर जारी आदेश वापस ले लिए।
नए सिरे से होंगे आदेश
अब इस बारे में नए सिरे से आदेश होने हैं। वेतन आयोग का यह एरियर पहली जनवरी, 2016 से है, जबकि महंगाई भत्ते का एरियर पहली जुलाई, 2022 से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए लंबित है।
एरियर चुकाने में लगेंगे 33 साल
जारी आदेशों में कहा गया था कि मार्च, 2024 में पे कमीशन का 1.5 फ़ीसदी एरियर दिया जाएगा, जबकि पहली अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2024-25 में पूरा साल तीन फीसदी एरियर का भुगतान होगा और इसे हर महीने की सैलरी में 0.25 फीसदी के हिसाब से अदा किया जाएगा। कर्मचारियों का तर्क था कि इस फार्मूले से एरियर चुकाने में 33 साल लगेंगे।
जीवित तो 3 प्रतिशत,मरने के बाद फुल एरियर
मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद पेंशनरों के लिए जारी जिस आदेश को वापस लिया गया, उसके पैरा-3 में कहा गया था कि पेंशनरों को अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में सालाना तीन फ़ीसदी एरियर मिलेगा, लेकिन पैरा-4 में एक प्रावधान दिया गया था कि यदि पेंशनर की मृत्यु हो जाती है तो परिवार को फुल एरियर मिल जाएगा।
हालांकि यह प्रावधान वित्त विभाग की स्टैंडर्ड प्रक्रिया का एक हिस्सा है, जो पेंशनरों-कर्मचारियों पर लागू होता है