लोक निर्माण विभाग के जोगिन्दर नगर डिविज़न में लम्बे समय से मजदूरों को हर महीने 15 दिन की ब्रेक दी जा रही थी. लेकिन जो मजदूर राजनेताओं के चहेते थे उन्हें जूनियर होने पर भी रेगुलर मस्टरोल पर रखा गया… जिस कारण जूनियर मजदूर तो 8 साल पूरा करने पर पक्के होते गए, लेकिन पहले से काम पर लगे मजदूरों को पक्का नहीं किया गया…
1998 से 2003 तक जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी तो मजदूरों द्वारा बार-बार की प्रार्थनाओं के बावजूद भाजपा सरकार ने मजदूरों की ब्रेकें समाप्त नहीं की.. 2003 में जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो फिर से मजदूरों ने सरकार से उनकी ब्रेकें तोड़ने और पक्का करने की गुहार लगाईं लेकिन कांग्रेस सरकार ने भी ब्रेकें समाप्त नहीं की. उसके बाद हमने इन मजदूरों को सीटू के झंडे तले लामबंद कर यूनियन में संगठित किया और संघर्ष शुरू किया. कई बार धरने-प्रदर्शन किये, घेराव किया और पहिया जाम भी किया. 2007 में 64 दिन तक जोगिन्दर नगर में भूख हड़ताल की और शिमला जा कर विधान सभा का भी घेराव किया.. 64 दिन की भूख हड़ताल के बाद प्रदेश सरकार को झुकने पर मजबूर किया जिस के चलते 31 अगस्त, 2007 को ब्रेकें समाप्त हो गई और पहली सितम्बर, 2007 से सभी मजदूरों को रेगुलर मस्टरोल पर रख लिया गया..
हमारी मांग थी कि मजदूरों को ब्रेक पीरियड की सिनियोरिटी भी दी जाए और ब्रेक पीरियड सहित 8 साल पूरा कर चुके सभी मजदूरों को पक्का किया जाए. जब सरकार ने मांग नहीं मानी तो हम ने श्रम विभाग में मामला उठाया जहां से केस लेबर कोर्ट में में पहुंचा, लेबर कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मजदूरों को दी जाने वाली ब्रेकें गैर कानूनी थीं और जिस दिन विभाग ने उन्हें काम पर रखा है उसी दिन से उन्हें सिनियोरिटी देते हुए राज्य सरकार की नीति के अनुसार पक्का किया जाए. राज्य सरकार ने मजदूरों को पक्का करने के लिए 8 वर्ष दिहाड़ीदार के रूप में पूरा करने की सीमा रखी है . मजदूरों के पक्ष में फैसला आये डेढ़ वर्ष हो चुका है लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस फैसले को लागू नहीं करवाया है.
विडम्बना यह है कि जब 2007 में लाल झंडे तले सीटू की भूख हड़ताल चल रही थी तो ठाकुर गुलाब सिंह जी जो कि उस वक्त विधान सभा चुनाव भी हार चुके थे ने स्वयं धरना स्थल पर आ कर सीटू के आन्दोलन की सराहना करते हुए कहा था कि यदि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो ब्रेक पीरियड की सिनियोरिटी सहित 8 वर्ष पूरा कर चुके सभी मजदूरों को पक्का कर दिया जाएगा. लेकिन अब वे न केवल अपने वायदे को तोड़ रहे हैं बल्कि कोर्ट के आदेश को भी लागू नहीं करवा रहे हैं. इसी लिए क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की गई है.