बरोट — लुआई में आग लगने की घटना के बाद अब ग्रामीणों ने क्षेत्र के केंद्र में फायर ब्रिगेड केंद्र खोलने की मांग की है। इसके अलावा हर गांव में जल भंडारण टैंक का निर्माण करने को लेकर भी लोगों ने आवाज बुलुंद कर दी हैं। अग्निकांड पीडि़तों में राम चंद, जट्टू राम, शाउणी देवी, राज किशोरी आदि लोगों का कहना है कि अगर क्षेत्र में अग्निशमन केंद्र होता तो लुआई में घंटे भीषण अग्निकांड से बीस परिवार के लोग बेघर न होते। छोटा भंगाल के लुआई गांव में मंगलवार को भीषण अग्निकांड से छोटा भंगाल व चौहार घाटी के लोग सहम गए हैं। ऐसी भयानक त्रासदी निपटने के लिए लोगों ने क्षेत्र में अग्निशमन केंद्र खोलने की मांग को जोरशोर से उठाया है।
लुआई पंचायत की प्रधान शांता देवी जिला परिषद सदस्य ऋषि राज, उपप्रधान धर्म चंद, बरोट पंचायत के प्रधान सुरेश कुमार, वरधाण पंचायत के प्रधान प्रेम चंद, धमच्याण के प्रधान रोशन लाल का कहना है कि आग लगने की घटनाओं को देखते हुए क्षेत्र में एक अग्निशमन केंद्र खोलना अनिवार्य हो गया हैं। इससे पहले भी छोटा भंगाल व चौहार घाटी में बड़े अग्निकांड होने से लोगों को कहीं का नहीं छोड़ा हैं। इससे पहले घटे अग्निकांडों की बात की जाए तो अंदरली मलहा, जधार, शपौता, बखलोग गांव, लुआई, पोलिंग, स्वाड़, शड़ौता, मलहा, दियोट, बड़ा ग्रां, लक्कड़ बाजार, बरोट, बरोट बाजार में हुई भीषम अग्निकांडों से करोड़ों रुपए के जानमाल का नुकसान हुआ हैं। लोग अभी तक संभल नहीं पाए हैं। अगर क्षेत्र में अग्निशमन केंद्र व गांवों-गांवों में जल भंडारण टैंक होते तो शायद इन घटित त्रासदियों पर समय पर काबू पा लिया होता।
जब क्षेत्र में ऐसी घटना घटती हैं तो फायर ब्रिगेड गाड़ी को पालमपुर व मंडी से यहां आने के लिए चार घंटे का समय लगता हैं। इतने समय में आग सब कुछ लील चुकी होती हैं। घाटी के दुर्गम गांवों में एक जल भंडारण टैंक होना अनिवार्य बन गया हैं। घाटी में चाहे आग लगने केंद्र व प्रत्येक गांवों में जल भंडारण टैंक का होना जरूरी हैं। इसके बिना यहां ऐसी त्रासदी से निपटना नामुमकिन हैं। चौहार घाटी व छोटा भंगाल घाटी के पंचायत प्रतिनिधियों व समस्त जनता ने सरकार से मांग की है कि चौहार घाटी के बरोट में एक अग्निशमन केंद्र व घाटी के दूरवर्ती गांवों में जल भंडारण टैंक प्राथमिकता के आधार पर बनाएं जाएं।