तेईसवीं पीढ़ी क्या खायेगी

एक राजा ने अपने मंत्री से कहा कि पता करे कि अपने राजकोष में कितना धन है. मंत्री ने पता किया और राजा को बताया कि राजकोष में आने वाली बाईस पीढ़ियों के लिए प्रयाप्त धन है. राजा सोच में पड़ गया. सोचा कि तेईसवीं पीढ़ी क्या खायेगी।

राजा इसी उधेड़बुन में था कि एक साधू वहाँ से गुजरे। राजा ने साधू का यथायोग्य सत्कार किया और उनको भोजन आदि करवा कर विदा करने लगे. राजा ने कुछ धन उपहार के रूप में स्वीकार करने का अनुरोध किया लेकिन साधू ने धन वापिस कर दिया। साधू ने कहा कि चूंकि वह आज भोजन कर चुके हैं और कल उनका उपवास है अत: वह परसों ही भोजन करेंगे। अब जबकि किसी ने कल नहीं देखा तो वह परसों की क्यों सोचे।

राजा की आँखे खुल गयी और उसकी सारी चिंता जाती रही.

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