6 साल की कड़ी मेहनत से लाहुल के किसान ने तैयार किया हींग का बीज

अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो इनसान उसे हासिल करने में अपनी जी जान लगा देता है। जी हां, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति के किसान ने। जिन्होंने हींग का बीज तैयार किया है।

अटल टनल बनने के बाद जिस तरह से लाहुल-स्पीति की तस्वीर बदली है, तो वही यहां पर किसान भी विविध प्रकार की फसल उगाकर अपनी आर्थिक हालत को मजबूत करने लगे है।

ऐसे में लाहुल घाटी में हींग की खेती भी पहली बार सफल हुई है और पूरे भारत में पहली बार हींग के पौधे से बीज भी तैयार किया गया है।

लाहुल घाटी के सलग्रा गांव के तोग चंद ने चार साल की मेहनत से इस उपलब्धि को हासिल किया है और वैज्ञानिकों ने भी तोग चंद की मेहनत को खूब सराहा है।

ऐसे में वैज्ञानिकों के द्वारा किसान तोग चंद को प्रशस्ति पत्र भी दिया गया है और इस बात को अब पीएम कार्यालय के समक्ष भी रखा जा रहा है। -एचडीएम

वैज्ञानिकों ने किया था घाटी का दौरा

करीब चार साल पहले सीएसआइआर आइएचबीटी पालमपुर के वैज्ञानिकों ने लाहुल घाटी का दौरा किया था। इस दौरान हींग के पौधे के लिए हिमाचल प्रदेश की लाहुल घाटी की ठंडी और शुष्क जलवायु बेहतर पाई गई थी।

ऐसे में वैज्ञानिकों ने लाहुल घाटी के कुछ किसानों को हींग के बीज दिए थे, ताकि वह इसे अपने खेतों में उगा सके।

हींग की खेली महत्वाकांक्षी परियोजना

सीएसआइआर आइएचबीटी पालमपुर के विज्ञानियों के अनुसार भारत में हींग की खेती एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जिससे किसानों को आर्थिक रूप से लाभ हो सकता है। ऐसे में भारत में पैदा हींग के बीज अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में हींग की खेती के लिए ज्यादा उपयुक्त होंगे।

छह साल से बीज तैयार करने की कोशिश

किसान तोद चंद ने बताया कि पिछले छह सालों से वह हींग का बीज तैयार कर रहे है, लेकिन सफलता उन्हें चार साल पहले मिली है।

चार साल पहले उन्हें सीएसआइआर आइएचबीटी पालमपुर के माध्यम से इसके बीज और कुछ पौधे मिले थे। जब हींग की खेती उन्होंने शुरू की तो उन्होंने इसके बारे में शोध किया और पाया कि उनके आसपास के इलाकों में हींग की खेती के लिए जो तापमान और जलवायु चाहिए। वह बिलकुल बेहतर है।

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