कुल्लू: जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में कलाकेंद्र के पिछली ओर फूड कोर्ट में अगर आपको परांठों का ब्रेकफास्ट करना है तो आपको यहां कतार में खड़ा होना होगा. यहां शाटी नाग परांठों की दुकान में ग्राहकों की लंबी लाइन अल सुबह ही नजर आती है और जो ग्राहक एक बार यहां परांठा खा जाए तो वह दोबारा इस दुकान का रुख करना नहीं भूलता. फूड कोर्ट में करीब 3 सालों से परांठों की दुकान चला रही ऊषा भी मुस्कुराते हुए सभी ग्राहकों का स्वागत करती है और तनम्य होकर रोजाना अपने इसी कार्य में जुटी रहती है.
नारी शक्ति को नई राह दिखाने वाली ऊषा कहती हैं कि कौन कहता है कि औरत कमजोर है. वर्ष 2000 से अपने इस कारोबार से जहां ऊषा ने अपने परिवार को सशक्त किया, वहीं वह आए दिन समाजसेवा के कार्यों से भी जुड़ी रहती है, जिस कारण भी उसकी दुकान पर लोगों का जमावड़ा दिन भर लगा रहता है. ऊषा ऐसी कई महिलाओं के लिए मिसाल है जो खुद को असहाय समझ कर घुट-घुट कर जीती हैं. बकौल ऊषा ईश्वर आपके साथ है मेहनत करो वो जरूर फल देगा.
जिला मंडी के बालीचौकी के खनेटी गांव की रहने वाली ऊषा की शादी वर्ष 1997 में दिले राम के साथ हुई थी. 3 सालों तक वह अपने पति संग गांव में रही लेकिन आजीविका के साधन को बढ़ाने के लिए उसने अपने पति संग कुल्लू का रुख किया. वर्ष 2000 में ऊषा ने कुल्लू अस्पताल के सामने छोटी सी रेहड़ी लगाकर परांठे बेचने का कारोबार शुरू किया. उसके बाद जिला प्रशासन द्वारा रेहड़ी वालों को वैंडर कमेटी के तहत कलाकेंद्र के पीछे बनाई मार्कीट में दुकान दी गई, जहां से अब ऊषा परांठों के कारोबार में जुटी हुई है. अपने इस कारोबार के साथ ऊषा समाजसेवा के क्षेत्र में भी जुटी रही और गरीबों की सेवा करती रही. जब ऊषा कुल्लू अस्पताल के पास रेहड़ी लगाती थी तो वहां कई गरीब मरीजों संग उनके परिवारजनों का भी आना-जाना लगा रहता था, ऐसे में कई बार उनके पास खाने के भी पैसे नहीं होते थे तो ऊषा रोजाना स्वयं अस्पताल जाकर उन्हें परांठे देने पहुंचती.
ऊषा ने बताया कि आज वो अपनी दुकान पर रोजाना 300 के करीब परांठे बनाकर ग्राहकों को परोसती हैं और इस कारोबार में उसे अपने परिवार का भी पूरा सहयोग मिल रहा है. अपने ग्राहकों की संतुष्टि ही उसका मुख्य ध्येय है और वे आज भी रोजाना गरीबों की मदद करने से पीछे नहीं हटती हैं.
शाटी नाग टी स्टाल में परांठा खाने पहुंचे ललित ठाकुर, सचिन शर्मा, आलोक व रवींद्र ने बताया कि इस दुकान की खासियत यह है कि यहां सारा दिन खाने के लिए परांठे उपलब्ध होते हैं, ऐसे में अगर शाम को खाना बनाने का मूड न हो तो यहां से डिनर के लिए भी परांठे ले जाते हैं.
स्रोत : पंजाब केसरी