बढ़ते जल-वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियों का खतरा

आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है. पिछले दो-तीन दशक के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह साफ हो जाता है कि कई कारणों से पर्यावरण को गंभीर रूप से क्षति पहुंची है। तेजी से बढ़ते रसायनों-कीटनाशकों के उपयोग ने न केवल हवा, बल्कि पानी और भोजन को भी दूषति कर दिया है। पर्यावरण संबंधी बढ़ती इन दिक्कतों ने हमारी सेहत को भी गंभीर रूप से क्षति पहुंचाई है।

आज प्रदूषित हो रहा पर्यावरण

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो जल-वायु प्रदूषण के कारण पिछले एक दशक में कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के मामले काफी अधिक बढ़ गए हैं। इस तरह के प्रदूषण का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिसके कारण लोगों में तंत्रिका विकारों के साथ कैंसर जैसे कई तरह की गंभीर रोगों के मामले काफी बढ़ गए हैं।

अध्ययनों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण सीधे हमारे फेफड़ों और श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हुए कई तरह की गंभीर बीमारियों के जोखिम को काफी बढ़ा देता है। वहीं जल प्रदूषण के कारण हैजा, कालरा, हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों के मामले सामने आते रहे हैं। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर आइए जानते हैं कि बढ़ते प्रदूषण के साथ-साथ किन बीमारियों का खतरा सबसे अधिक हो गया है, जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है.

प्रदूषण के कारण बढ़ते मौत के मामले

द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि तमाम तरह के प्रदूषण के कारण साल 2019 में लगभग नौ मिलियन से अधिक (90 लाख) मौतें हुईं। यह दुनिया भर में होने वाले हर छह में से एक की मौत के बराबर है। भारत में भी स्थिति काफी चिंताजनक है। द लैंसेट की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में जहरीली हवा ने 1.67 मिलियन भारतीयों की जान ली, यह इस साल होने वाली कुल मौतों का 18 फीसदी है।

वायु प्रदूषण और इससे होने वाली बीमारियां

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है वायु प्रदूषण के कारण हर साल 4.2 मिलियन लोग समय से पहले मौत के शिकार हो जाते हैं। वायु प्रदूषण से होने वाली सबसे आम बीमारियों में इस्केमिक हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), फेफड़ों का कैंसर और बच्चों में अक्यूट लोअर रेस्पोरेटरी इंफेक्शन हैं। वायु प्रदूषण के कारण मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जो स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देती है।

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