मौसम की बेरुखी से पैदा होगा बिजली और पानी का संकट

शिमला : देवभूमि हिमाचल में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इससे पहले साल 2007 में ऐसे हालात देखने को मिले थे। उस दौरान जनवरी माह में मात्र एक मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई थी। इस बार भी हिमाचल में एक जनवरी से 5 फरवरी तक मात्र 9.2 मिलीमीटर बारिश-बर्फबारी हुई है। यानि प्रदेश में 92 फीसदी कम मेघ बरसे हैं। इस अवधि औसत सामान्य बारिश-बर्फबारी 114.5 मिलीमीटर होनी चाहिए थी। फरवरी माह की बात करें तो प्रदेश में पहले सप्ताह में 99.5 फीसदी कम बारिश हुई है।

बर्फबारी को तरसे पहाड़

जो पहाड़ नवम्बर व दिसम्बर माह में बर्फ की सफेद चादर ओढ़ लेते थे, वे फरवरी में भी सूखे नजर आ रहे हैं। इससे गर्मियों में भी विद्युत उत्पादन आधा रह जाएगा। बिजली पैदा करने से नदी-नालों में पानी नहीं मिलेगा। इन दिनों भी बर्फबारी न होने और ग्लेशियरों के जम जाने से 86.54 फीसदी से अधिक विद्युत उत्पादन गिर गया है। यही वजह है कि हिमाचल के ज्यादातर घरों में पड़ोसी राज्य की बिजली लेकर उजाला हो रहा है।

बिजली उत्पादन में आई गिरावट

अगर हिमाचल में समय रहते बर्फबारी न हुई तो गर्मियों के दौरान विद्युत संकट गहरा जाएगा। राज्य सरकार को विद्युत क्षेत्र से मिलने वाला करोड़ों का राजस्व कम हो जाएगा। इसकी ज्यादा मार छोटे-छोटे पावर प्रोड्यूसर पर पड़ेगी। प्रदेश में बर्फबारी न होने से विद्युत उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।बोर्ड के एम.डी. जे.पी. काल्टा कहते हैं कि प्रदेश के पावर प्रोजैक्ट में 86 फीसदी तक विद्युत उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है लेकिन उपभोक्ताओं को बिजली की कमी नहीं होने दी जाएगी।

पड़ोसी राज्यों से की जा रही आपूर्ति

इन दिनों 140 लाख यूनिट बिजली बैंकिंग के माध्यम से पड़ोसी राज्य और 98 लाख यूनिट सैंट्रल सैक्टर की परियोजनाओं से ली जा रही है। अपना उत्पादन 37 लाख यूनिट में सिमट गया है। उत्पादन गिरने से विद्युत राज्य हिमाचल पड़ोसी राज्य की बिजली पर निर्भर हो गया है। राज्य का विद्युत बोर्ड बैंकिंग सिस्टम से पड़ोसी राज्य से बिजली लेकर उपभोक्ताओं को आपूर्ति कर रहा है। 140 लाख यूनिट बिजली बैंकिंग के माध्यम से पड़ोसी राज्य से ली जा रही है जबकि 98 लाख यूनिट सैंट्रल सैक्टर की परियोजनाओं से खरीदी जा रही है।

 

जोगिन्दरनगर की लेटेस्ट न्यूज़ के लिए हमारे फेसबुक पेज को
करें।