विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2030 तक पूरे विश्व को रेबीज मुक्त बनाने के लिए व्यापक तौर पर अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में पशु पालन विभाग पद्धर द्वारा भी विश्व रेबीज दिवस के उपलक्ष्य पर शनिवार को पशु अस्पताल पद्धर में एक दिवसीय शिविर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उपमंडल पद्धर के सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों व अन्य पशु प्रेमियों में रेबीज नामक घातक बीमारी के प्रति जागरूकता करना व इसके उपाय था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दीपक वर्मा वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी पद्धर ने की ।
उन्होंने कहा कि दिवस 28 सितंबर को पुरे विश्व भर में रेबीज दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष, 2024 में इस दिवस का शीर्षक, ब्रेकिंग द रैबीज बाउंड्रीज् रखा है। जबकि भारत में इसका शीर्षक रेबीज मुक्त भारत है।
हर साल 28 सितंबर को दुनिया भर में रेबीज दिवस मनाया जाता है। यह दिन रेबीज को लेकर जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है, जो एक घातक बीमारी है।
रेबीज एक ऐसा घातक वायरस है जो ज्यादातर केस में मौत का कारण बनता है। डा. दीपक वर्मा ने बताया कि रेबीज मुक्त भारत अभियान के तहत रेबीज से बचाव के लिए 10 दिन का विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
जिसमें पालतू पशुओं व अन्य आवारा जानवरों का टीकाकरण किया जाएगा। उन्होंने लोगो से अनुरोध किया है कि अपने पालतू पशुओं में रबीज जैसी घातक बीमारी के उन्मूलन हेतू टीकाकरण लगवाना सुनिश्चित करें। सभी पालतू व आवारा कुत्तों को एंटी रेबीज़ वैक्सीन मुफ़्त में लगाई जाएगी।
कुत्ते ही नहीं, अन्य जानवरों से भी फैल सकता है रेबीज
सृष्टि पशु चिकित्साधिकारी थलटूखोड़ अधिकारी ने उपस्थित लोगों को इस घातक बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रैबीज केवल कुत्ते के काटने से नहीं होता है।
रेबीज के 97 प्रतिशत मामले संक्रमित कुत्ते के काटने के कारण होते हैं। संक्रमित कुत्ते के अलावा यह बीमारी बिल्ली, बंदर, नेवला, लोमड़ी, सियार या अन्य जंगली जानवरों के काटने या नाखून मारने से भी हो सकता है।
रेबीज होने पर इसका कोई इलाज नहीं होता है। इसका बचाव केवल और केवल एंटी रेबीज टीकाकरण ही है। इस दौरान उपमंडल पद्धर के 50 से अधिक पशु पालक व पशुचिकित्सा अधिकारी पंचायत प्रतिनिधि व वेटरिनरी फार्मासिस्ट उपस्थित रहे ।