हिमाचल की सदानीरा नदियां हमारी जलापूर्ति का मुख्य साधन हैं। इनके जल से विद्युत उत्पादन कर प्रदेश ऊर्जा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बना है। इन नदियों में मत्स्य पालन के माध्यम से लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में प्रदेश सरकार कई सार्थक कदम उठा रही है।

मंडी जिला में ट्राउट मछली उत्पादन को बढ़ावा देना सरकार के इन्हीं प्रयासों को इंगित करता है। जिला मंडी के उपमंडल पद्धर का बरोट क्षेत्र ट्राउट मछली उत्पादन में तेजी से उभर रहा है।
पद्धर उपमंडल से 35 किलोमीटर दूर ठंडी जलवायु के कारण यहां से बहने वाली ऊहल एवं इसकी सहायक नदी लंबाडग ट्राउट मछली उत्पादन के लिए आदर्श मानी गई हैं।
मत्स्य पालन विभाग के माध्यम से प्रदेश सरकार इस क्षेत्र में ब्राऊन व रेनबो ट्राउट फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है।
हाल ही में इन दोनों नदियों में 35 हजार मत्स्य बीज डाला गया, जिसमें 25 हजार ब्राऊन ट्राउट और 10 हजार रेनबो ट्राउट बीज शामिल है। खास बात यह कि यह बीज राजकीय ट्राउट फ ार्म बरोट में ही उत्पादित किया गया है।
सरकार के इन प्रयासों से स्थानीय युवाओं सहित पर्यटन व्यवसायियों को भी लाभ मिलेगा। बरोट की नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर वादियों का आनंद लेने बड़ी संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं।
इनमें से अधिकांश मत्स्य आखेट के शौकीन भी होते हैं। ऐसे पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां मत्स्य आखेट स्थल भी चिह्नित किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त होटल व्यावसायियों व स्थानीय स्तर पर ट्राउट की काफी मांग रहती है। मत्स्य पालन से जुड़े किसानों को प्रशिक्षण व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर भी प्रदेश सरकार विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है।
जिला में ट्राउट रेसवेस का निर्माण करने के लिए 33 किसानों को एक करोड़ 80 लाख रुपए की अनुदान सहायता प्रदान की गई है। शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल से अनुसूचित जाति उप-योजना (एससीएसपी) के तहत 3.02 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं।
यह राशि ट्राउट मत्स्य फ ार्म बरोट के तहत मत्स्य किसानों के प्रशिक्षण पर व्यय की गई। इसके तहत 25 किसानों को 10 हजार रुपए प्रति किसान की दर से अनुदान सामग्री भी वितरित की गई।
हाल ही में जिले के दो ट्राउट प्रगतिशील मत्स्य किसानों की निजी हैचरियों से रेनबो ट्राउट आइड ओवा उत्तराखंड राज्य को निर्यात किए गए हैं।
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