सरकारी योजनायें लोगों के कल्याण के लिए बना तो दी जाती हैं लेकिन ये लागू तभी हो पाती हैं जब इन्हें कोई सरकारी कर्मचारी जमीनी स्तर पर सही ढंग से लागू करे. जब इन योजनाओं का पालन कोई कर्मचारी ईमानदारी से करता है तो योजना का लाभ हर व्यक्ति को मिलता तो है ही इसके साथ ऐसा कर्मचारी अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन जाता है. इसी प्रकार भारत सरकार ने आजकल खसरा-रूबेला से निपटारे को लेकर टीकाकरण अभियान चलाया हुआ है. इस अभियान को सफल बनाने के लिए तीन महिला कर्मचारियों ने भी गजब का साहस दिखाया है जिससे इन महिलाओं की हर जगह प्रशंसा हो रही है.
दुर्गम क्षेत्र में किया टीकाकरण
मामला मंडी जिला की सराज घाटी के दुर्गम इलाके शिकारी देवी के जंगलों का है। शिकारी देवी के जंगलों का इलाका स्वास्थ्य उप केंद्र शंकर देहरा के तहत आता है और इन दिनों यहां पर घुमंतू गुज्जर रह रहे हैं। घुमंतू गुज्जरों के बच्चों को भी टीका लगाना था तो इसलिए तीनों महिला कर्मचारियों ने घने जंगलों में जाकर टीकाकरण की सोच ली।
पगडंडियों का लिया सहारा
फिमेल हेल्थ वर्कर गीता वर्मा, आशा वर्कर गीता भाटिया और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रेमलता भाटिया टीकाकरण के लिए जंगलों की ओर रवाना हो गई। हालांकि शिकारी देवी के लिए कच्ची सड़क है लेकिन अधिकतर घुमंतू परिवारों तक पहुंचने के लिए अधिकतर पगडंडियों का सहारा लेना पड़ा। गीता वर्मा बाइक चला लेती हैं इसलिए उन्होंने बाइक एक अन्य महिला कर्मी को पीछे बैठाकर बाइक पर ही अपना सफर शुरू कर दिया जबकि एक अन्य महिला कर्मी अपने पति के साथ स्कूटर पर टीकाकरण करने रवाना हो गई।
घुमन्तू लोगों के बच्चों को लगाये टीके
घने जंगलों में पगडंडियों पर बाइक चलाते हुए यह तीनों महिला कर्मचारी घुमंतू लोगों के पास पहुंची और उनके बच्चों को टीके लगाए। यहां पर इन्होंने टीकाकरण के फोटो भी खिंचे। इसके बाद यह फोटो वायरल हो गए और हर कोई महिला कर्मचारियों के हौंसले की तारीफ कर रहा है। महिला कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने अपने दायित्व का निर्वहन किया है और बच्चों को टीकाकरण का लाभ पहुंचाया है।