इस वर्ष 20 अक्तूबर को ही मनाई जाएगी दीपावली : पंडित लेख राज शर्मा

जोगिन्दरनगर : श्री शारदा ज्योतिष निकेतन के निदेशक व हस्तरेखा विशेषज्ञ कैप्टन पंडित लेखराज शर्मा ने बताया कि इस वर्ष दीपावली पर्व की तिथि को लेकर पंचांगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी।

हस्तरेखा विशेषज्ञ कैप्टन पंडित लेखराज शर्मा

21 नहीं 20 अक्तूबर को मनाएं दीवाली

कुछ पंचांगों में 21 अक्तूबर को दीपावली मनाने की बात कही गई थी, लेकिन भारतीय ज्योतिर्विद परिषद की 4 अक्तूबर 2025 को हुई बैठक में विद्वानों ने शास्त्रीय आधार पर यह स्पष्ट किया कि दीपावली 20 अक्तूबर 2025 (सोमवार) को ही मनाई जानी चाहिए।

20 अक्तूबर को होगा लक्ष्मी पूजन

बैठक की अध्यक्षता परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. रामचंद्र पांडेय ने की। परिषद में उपस्थित विद्वानों ने बताया कि 20 अक्तूबर की संध्या को लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदोषकाल और स्थिर लग्न का योग बन रहा है, जबकि 21 अक्तूबर को प्रदोषकाल अमावस्या तिथि में नहीं रहेगा।

इस कारण शास्त्रों के अनुसार 20 अक्तूबर को ही दीपावली मनाना उचित है। परिषद ने देशभर के सनातन धर्मावलंबियों से एक मत होकर शास्त्र वचनों का पालन करने का आग्रह किया है।

लेखराज शर्मा ने बताया

पंडित लेखराज शर्मा ने बताया कि स्कंद पुराण, नारद पुराण, कालविवेक तंत्र और धर्मसिंधु जैसे प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि “अमावास्यायां प्रदोषे च लक्ष्मीपूजनं श्रेयस्करम्”, अर्थात् अमावस्या की प्रदोषकालीन बेला में लक्ष्मी पूजन करना सर्वश्रेष्ठ फलदायी होता है।

अमावस्या तिथि का समय

इस वर्ष अमावस्या तिथि 20 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 21 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 20 अक्तूबर की संध्या का प्रदोषकाल पूरी तरह अमावस्या तिथि में रहेगा, जो शास्त्रों के अनुसार सबसे शुभ है।

लक्ष्मी पूजन का यह है समय

पंचांग के अनुसार लक्ष्मी-गणेश पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय 20 अक्तूबर को शाम 7 बजकर 08 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। यह अवधि प्रदोषकाल और स्थिर वृष लग्न का संयोग है।

शास्त्रों में कहा गया है — “स्थिरे लग्ने स्थिरं धनं” अर्थात् स्थिर लग्न में किया गया पूजन स्थायी धन और सुख-समृद्धि प्रदान करता है। इस काल में लक्ष्मी पूजन करने से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों को समृद्धि, आरोग्य तथा सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।

त्रिवेणी संयोग

पंडित लेखराज शर्मा ने कहा कि इस बार 20 अक्तूबर की संध्या को अमावस्या, प्रदोषकाल और स्थिर लग्न का त्रिवेणी संयोग बन रहा है, जो वर्ष में एक ही बार आता है।

इसलिए श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे इसी दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन करें, दीपदान करें और परिवार सहित दीपावली का पर्व उल्लासपूर्वक मनाएं।

उन्होंने देशवासियों से अपील की है कि वे 20 अक्तूबर को ही दीपावली मनाएं, ताकि धर्म, आस्था और शास्त्र का संतुलन बना रहे।