जी राम जी बिल बना कानून, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, 125 दिन के काम की गारंटी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मनरेगा की जगह लाए गए विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी है। इस स्वीकृति के साथ यह विधेयक अब कानून बन गया है।

इस कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को मिलने वाली वैधानिक मजदूरी रोजगार की गारंटी को बढ़ाकर अब एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 125 दिन कर दिया गया है।

सरकार इसे ग्रामीण जीवन को मजबूत आधार देने वाला ऐतिहासिक कदम बता रही है। सरकार का कहना है कि वीबी-जी राम जी कानून लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कानूनी गारंटी पहले से ज्यादा मजबूत हो जाएगी।

बता दें कि इस बिल पर देत रात तक संसद में चर्चा चली थी। इस मामले में विपक्ष का कहना था कि सरकार जानबूझकर मनरेगा का नाम बदल रही है, मनरेगा में महात्मा गांधी का भी नाम आता था, इसीलिए भाजपा इस नाम को हटाने के लिए ये बिल लाई।

वहीं, सरकार का कहना था कि पहले की योजना में लोगों को 100 दिन का काम दिया जाता था, लेकिन अब इस कानून के तहत अब कम से कम 125 दिन काम देना आनिवार्य है। इस बहस के दौरान ही कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर जमकर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था कि जब भी कांग्रेस सत्ता में आएगी, तो वह इसका फिर नाम बदलेंगे। इन सब हंगामों के बीच इस बिल को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था।

हालांकि संसद में विपक्ष ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया था। इतना ही नहीं, इसके बाद विपक्ष ने संविधान सदन के बाहर पूरी रात धरना भी दिया था।

इस कानून के मुताबिक अब पात्र ग्रामीण परिवारों को साल में 125 दिन तक मजदूरी आधारित काम उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी होगी।

सरकार का कहना है कि नए कानून का मकसद केवल रोजगार देना नहीं है, बल्कि ग्रामीण समाज का समग्र सशक्तिकरण करना भी है।

वीबी-जी राम जी कानून में संतृप्ति आधारित डिलीवरी को खास महत्त्व दिया गया है। इसका मतलब यह है कि कोई भी पात्र परिवार योजना के लाभ से वंचित न रहे।

सरकार का मानना है कि यह कानून समृद्ध, मजबूत और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की नींव को और पुख्ता करेगा। रोजगार बढऩे से गांवों में आय के साधन मजबूत होंगे और शहरों की ओर पलायन पर भी रोक लगेगी।