हिमाचल सदी के सबसे बड़े सूखे से गुजर रहा है। बीते 110 सालों में ग्याहरवीं बार ऐसा हुआ है जब बारिश का न्यूनतम स्तर माइनस 99.7 प्रतिशत आंका गया है। प्रदेश में अभी तक बारिश 0.1 प्रतिशत हुई है। जबकि इस अवधि में सामान्य बारिश का आकलन 43.1 प्रतिशत है।
इससे पूर्व सबसे कम बारिश वर्ष 1914 में दर्ज हुई थी। उस समय के आकलन 81.4 प्रतिशत था। जबकि मौसम ने आंकड़ों में मौजूदा दौर 58 साल पुरानी याद ताजा कर दी है। 1966 में मौसम का प्रस्थान 99.6 प्रतिशत रहा था।
जो इस बार के मुकाबले महज 0.1 प्रतिशत ही अधिक है। सूखे के इस संकट को मौसम विभाग ने गंभीर बताया है और इसका असर न सिर्फ फल, फसल और सब्जियों पर पड़ रहा है।
बल्कि मैदानी इलाकों में कोहरे की वजह से तापमान में भी तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। प्रदेश के सात जिलों में बीते करीब एक महीने से कोहरे की वजह से यातायात बाधित हो रहा है।
हादसे को लेकर मौसम विभाग ने पहले ही अलर्ट जारी कर दिया है। विभाग ने 25 जनवरी तक मौसम के शुष्क रहने की संभावना जताई है। रावी, ब्यास और सतलुज नदी के तट पर पूरे प्रदेश में मौसम में कोई बदलाव नहीं होगा। मौसम विभाग ने अभी भी मैदानी इलाकों में कोहरे की वजह से विजिविल्टी में दिक्कत की बात कही है।
10 सालों में मौसम का आकलन
वर्ष प्रस्थान
2024 (18.01.2024 तक) -99.7
1966 -99.6
2007 -98.5
1902 -92.4
1986 -91.4
2018 -90.5
1916 -87.8
1936 -86.5
1963 -83.5
1998 -83.4
1914 -81.4
पांच जिलों में यलो अलर्ट
मौसम विभाग ने आगामी 48 घंटे के लिए पांच जिलों में यलो अलर्ट जारी किया है। प्रदेश के मैदानी इलाकों में धुंध की वजह से वाहन चालकों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
मौसम विभाग ने गतिसीमा को नियंत्रित रखकर वाहन चलाने का आह्वान किया है। इसके साथ ही पौधों पर आ रहे फूलों को बचाने के लिए कदम उठाने की बात कही है। मौसम विभाग ने 25 तक मौसम के शुष्क बने रहने और शीतलहर का प्रकोप जारी रहने की बात कही है।