शिमला : लंबे समय से टर्म सिस्टम को खत्म करने की शिक्षक संगठनों की ओर से चली आ रही मांग पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। स्कूलों में अब इस सत्र से टर्म सिस्टम को खत्म कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा के लिए टर्म सिस्टम को समाप्त करते हुए एक बार फिर एनुअल सिस्टम को मंजूरी दे दी है।
यानी अब इन दोनों क्लास के बच्चे साल में एक बार ही अपनी परीक्षा देंगे। विभिन्न शिक्षक संगठनों की तरफ से ये डिमांड की जा रही थी कि से टर्म सिस्टम शिक्षा और विद्यार्थियों के हित में नहीं था, इसलिए प्रदेश सरकार ने इसमें बदलाव लाने का फैसला किया है।
टर्म सिस्टम के कारण बच्चों को अपने सिलेबस रिवाइज करने के लिए कम समय मिल रहा था और एक एकेडमिक सेशन में दो बार परीक्षाएं होने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही थी।
दो बार परीक्षाओं के आयोजन से विद्यार्थियों का लगभग दो माह का महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो रहा था। वहीं विद्यार्थियों को दो बार परीक्षा में बैठने के लिए शुल्क देना पड़ता था, जिससे उन पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ रहा था।
सीबीएसई बोर्ड और पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और उत्तराखंड में भी एनुअल सिस्टम ही लागू है।
इन सभी कारणों को देखते हुए हिमाचल प्रदेश में भी टर्म सिस्टम को खत्म कर एनुअल सिस्टम को फिर से लागू करने का निर्णय लिया गया है।
वहीं शिक्षा बोर्ड की ओर से भी शिक्षक संगठनों के साथ इस बारे में बैठक में की गई थी। जिसके बाद प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। पूर्व जयराम सरकार के समय वर्ष 2020 में कोरोना काल के बाद टर्म सिस्टम को लागू किया गया था।
शिक्षकों की कंफ्यूजन हुई दूर
समर वेकेशन वाले स्कूलों में इन दिनों छुट्टियां हैं। ऐसे में छुट्टियों से पहले सिलेबस को कंप्लीट करवाना शिक्षकों के लिए मुश्किल था। शिक्षक भी इस कारण कंफ्यूजन में थे।
इसके साथ ही स्कूलों में अगस्त और सितंबर में जोनल स्तर की खेल प्रतियोगिताएं भी शुरू हो जाएंगी। इस सब शेड्यूल के बावजूद फर्स्ट टर्म कोर्स सिलेबस को शिक्षक कैसे पूरा करवाएं, इसके लिए शिक्षकों के पास समय नहीं बचेगा।
इस कारण अब शिक्षा विभाग से यह गुहार लगाई गई थी कि टर्म सिस्टम को खत्म कर इसे एनुअल प्रणाली में तब्दील किया जाएं और यह आदेश शिक्षा विभाग जल्द से जल्द जारी करें,
ताकि छात्र का सिलेबस पूरा करवाने में विभाग को किसी तरह की दिक्कत न आए। ऐसे में सरकार के इस फैसले से अब सभी तरह की कंफ्यूजन भी दूर हो गई है।