एक छोटा सा राज्य, 70 लाख आबादी और बेरोजगारी देश के सभी राज्यों से ज्यादा। बेरोजगारी को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, उन्होंने पहाड़ी राज्य हिमाचल को चिंता में डाल दिया है।
यह प्रदेश के पढ़े लिखे नौजवानों ही नहीं, बल्कि राज्य सरकार के लिए भी सुखद बात नहीं है, क्योंकि प्रदेश में वैसे ही आय के संसाधन कम हैं और ऊपर से बढ़ती बेरोजगारी।
ऐसे में सरकार को इस मामले में जरूर कुछ सकारात्मक कदम उठाने होंगे। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय ने तीन महीनों की सर्वे रिपोर्ट सामने रखी है।
यह सर्वे जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने का है, जिसमें श्रमबल सर्वेक्षण के आंकड़ों ने हिमाचल को चौंका दिया है।
सर्वे के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग के बीच हिमाचल के शहरी इलाकों में 33.9 फीसदी बेरोजगारी दर आंकी गई है, जो कि देश में सबसे ज्यादा है, जबकि 30.2 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ राजस्थान दूसरे स्थान पर है।
महिलाएं खाली हाथ
हिमाचल के शहरी क्षेत्रों में 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में बेरोजगारी दर 49.2 फीसदी है, जो कि देश में सर्वाधिक है, जबकि पुरुषों की बेरोजगारी दर 25.3 फीसदी है।
इस मामले में राजस्थान के शहरों में महिलाओं में बेरोजगारी दर 39.4 फीसदी थी, जबकि पुरुषों में यह 27.2 फीसदी थी।
22 राज्यों में सर्वे
यह सर्वे 22 राज्यों में किया गया है। आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई, अगस्त और सितंबर में देश के शहरों में 15-29 आयु वर्ग में कुल बेरोजगारी 22.9 प्रतिशत थी,
जबकि दूसरी तिमाही में इसी वर्ग के युवाओं में सबसे कम बेरोजगारी दर गुजरात में 7.1 फीसदी थी और उसके बाद दिल्ली में यह दर 8.4 प्रतिशत थी।