शिमला-मटौर नेशनल हाईवे को फोरलेन में बदलने की तैयारियां तेज हो गई हैं। एनएचएआई ने इस नेशनल हाईवे को छह पैकेज में बनाने का फैसला किया है। ऐसे में इस मार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। चार जिलों से गुजरने वाले इस मार्ग पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
नेशनल हाईवे की लंबाई 169.754 किलोमीटर होगी और इसके निर्माण पर 2502.12 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना है। इसमें शिमला से ज्वालामुखी तक 114.649 किलोमीटर के हिस्से की डीपीआर तैयार की जा रही है।
यह डीपीआर चार चरणों में बन रही है। इसमें पहले चरण में शिमला से शालाघाट तक 22.25 किलोमीटर, शालाघाट से नौणी (बिलासपुर) तक करीब 30.250 किलोमीटर, भगेड़ से हमीरपुर 45 किलोमीटर और हमीरपुर से ज्वालामुखी तक 17.149 किलोमीटर हिस्से की डीपीआर तैयार की जा रही है।
इसके साथ ही ज्वालामुखी से भंगवार तक 36.975 किलोमीटर हिस्से की डीपीआर तैयार की जा रही है। इस पैकेज की निर्माण लागत 1179.12 करोड़ रुपए आंकी गई है। एनएचएआई ने 31 मार्च तक इस पैकेज को अवार्ड करने की तिथि तय की है। इस बारे में विधानसभा में भी धर्मशाला के विधायक विशाल नैहरिया ने सवाल उठाया है। यह दूसरा फोरलेन हाईवे होगा। इससे पूर्व परवाणू-शिमला नेशनल हाईवे को फोरलेन में बदलने का काम जारी है।
इस समय मार्ग के आखिरी हिस्से भंगवार से कांगड़ा तक करीब 18.13 किलोमीटर हिस्से को फोरलेन में बदलने का कार्य प्रगति पर है। इस हिस्से के निर्माण की लागत 1323 करोड़ रुपए आंकी गई है। शिमला-मटौर नेशनल हाईवे के इकलौते इसी पैकेज का टेंडर जारी किया गया है।