काँगड़ा जिला के बैजनाथ के करीब स्थित महाकाल मंदिर में भादों माह में लगने वाले शनिवार के मेले 17 अगस्त से धूमधाम से शुरू हो गये हैं. आने वाली 14 सितम्बर को अंतिम शनिवार का मेला होगा. मेले के दिनों में मंदिर में भक्तों को भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ती है. स्थानीय प्रशासन ने मेले को सुचारू रूप से चलाने के लिए बेहतर इंतजाम किये हैं. भक्तों के लिए भजन कीर्तन के आयोजन के साथ -साथ भंडारे का भी इंतजाम किया गया है. बारिश के बावजूद लोगों के उत्साह में कोई कमी नजर नहीं आ रही है.
उज्जैन के बाद है यहाँ शनि का दूसरा मंदिर
बैजनाथ शिव धाम से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है महाकाल मंदिर.यह मंदिर अपने आप में अनूठा है. इस मंदिर के बारे में कई किस्से और कहानियां सुनने को मिलती हैं. नासिक के उज्जैन के बाद बैजनाथ स्थित महाकाल में ही शनि का दूसरा मंदिर है.
भक्तों के लिए भंडारे का है इंतजाम
प्रशासन ने मेले की दृष्टि से हर तरह से तैयारी कर ली है जिसमें स्थानीय कालेज और स्कूलों के कार्यकर्ता भी मेले में सहयोग कर रहे हैं. बारिश के बावजूद भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं है. इसके अलावा भक्तों के लिए भंडारे का भी आयोजन किया जा रहा है. इसके अलावा स्थानीय कलाकारों द्वारा भजन कीर्तन का कार्यक्रम भी पेश किया जाता रहा है.
स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है यहाँ
यहाँ विराजमान हैं 4 कुंड


पांडवों ने किया था इस मंदिर का निर्माण
भूकंप में ढह गया था मंदिर का आधा हिस्सा
मंदिर के पुजारी ने बताया कि पूर्व समय में किसी दिन अगर महाकाल में कोई शव जलने नहीं आता था तो घास का पुतला जलाया जाता था। उन्होंने बताया कि वर्ष 1905 में आए भीषण भूकंप में मंदिर का आधा भाग ढह गया था जिसके बाद आधे भाग को दोबारा बनाया गया है।
माँ दुर्गा की मूर्ति भी है स्थापित
जानकारी के अनुसार दुर्गा माँ की स्थापना मंडी के तत्कालीन राजा सुशैन ने करीब 450 वर्ष पूर्व की थी। उस समय राजा के इकलौते बेटे के निधन के बाद राजा ने मां दुर्गा की मूर्ती की स्थापना करने से इंकार कर दिया। इसके बाद जिस किसी ने भी स्थापना करनी चाही, उसके या परिवार के साथ कोई न कोई हादसा घटित होता रहा। इसके बाद वर्ष 1982 में स्वामी रामानंद ने मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की।

