7 सितंबर से शुरू हो रहा पितृ पक्ष

पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है जो 21 सितंबर को महालया अमावस्या पर समाप्त होगा। पितृ पक्ष में श्राद्ध और दान का महत्व है। पितृ पक्ष 15 दिनों का होता है जिसमें लोग अपने पितरों को जल अर्पित करते हैं और उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं। पुराणों के अनुसार यमराज इस दौरान जीवों को तर्पण के लिए मुक्त करते हैं।

कौओं का है विशेष महत्व

माना जाता है कि इन कौओं में पितरों की आत्मा विराजमान होती है। हिंदू सनातन परंपरा में श्राद्धों के दौरान कौवों का काफी ज्यादा महत्व है।

कौआ यमराज का प्रतीक होता है। यमराज मृत्यु का देवता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कौआ अन्न खा ले तो यमराज खुश होते हैं और उनका संदेश उनके पूर्वजों तक पहुंच जाता है।

इन्हें भी खिला सकते हैं खाना

पंडित विपन शर्मा ने बताया कि श्राद्ध के दौरान तर्पण में एक थाली कौवे, कुत्ते और गाय के लिए भी निकाली जाती है। अगर कौवे नहीं मिल रहे हैं, तो किसी भी पक्षी को भोजन कराया जा सकता है, लेकिन कौवे को ही खिलाया जाए यही उत्तम होता हैं।

यमराज का सन्देश वाहक है कौआ

गरुड़ पुराण में लिखा कि कौवा यमराज का संदेश वाहक है। श्राद्ध पक्ष में कौवे को खाना खिलाने से यमलोक में पितर देवताओं को तृप्ति मिलती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार यम ने कौवे को वरदान दिया था कि तुम्हें दिया गया भोजन पूर्वजों की आत्मा को शांति देगा।

पुराने समय से चल रही प्रथा

तब से यह प्रथा चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने के बाद जितना जरूरी ब्राह्मण को भोजन कराना होता है, उतना ही जरूरी कौवों को भोजन कराना भी होता है। माना जाता है कि कौवे इस समय में हमारे पितरों का रूप धारण करके हमारे पास रहते हैं। पितृपक्ष के दौरान शुभ व मांगलिक कार्य जैसे शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन या नई चीजों की खरीददारी वर्जित होती है।

भगवान श्रीराम ने दिया था आशीर्वाद

कथानुसार कहा जाता है कि एक बार कौवे ने माता सीता के पैरों में चोंच मार दी थी। इसे देखकर भगवान श्री राम ने अपने बाण से उसकी आंखों पर वार कर दिया और कौए की आंख फूट गई। कौवे को जब इसका पछतावा हुआ तो उसने श्रीराम से क्षमा मांगी।

भगवान श्री राम ने कहा था

तब भगवान राम ने आशीर्वाद स्वरुप कहा कि तुमको खिलाया गया भोजन पितरों को तृप्त करेगा। भगवान राम के पास जो कौआ का रूप धारण करके पहुंचा था वह देवराज इंद्र के पुत्र जयंती थे। तभी से कौवे को भोजन खिलाने का विशेष महत्व है।

पंचाग के अनुसार श्राद्ध की तिथियां

तारीख मास पक्ष तिथि श्राद्ध
7 सितंबर भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा पूर्णिमा श्राद्ध
8 सितंबर आश्विन कृष्ण प्रतिपदा प्रतिपदा श्राद्ध
9 सितंबर आश्विन कृष्ण द्वितीया द्वितीया श्राद्ध
10 सितंबर आश्विन कृष्ण तृतीया तृतीया श्राद्ध
11 सितंबर आश्विन कृष्ण चतुर्थी चतुर्थी श्राद्ध
12 सितंबर आश्विन कृष्ण पंचमी पंचमी श्राद्ध
13 सितंबर आश्विन कृष्ण षष्ठी षष्ठी श्राद्ध
14 सितंबर आश्विन कृष्ण अष्टमी अष्टमी श्राद्ध
15 सितंबर आश्विन कृष्ण नवमी नवमी श्राद्ध
16 सितंबर आश्विन कृष्ण दशमी दशमी श्राद्ध
17 सितंबर आश्विन कृष्ण एकादशी एकादशी श्राद्ध
18 सितंबर आश्विन कृष्ण द्वादशी द्वादशी श्राद्ध
19 सितंबर आश्विन कृष्ण त्रयोदशी त्रयोदशी श्राद्ध
20 सितंबर आश्विन कृष्ण चतुर्दशी चतुर्दशी श्राद्ध
21 सितंबर आश्विन कृष्ण अमावस्या सर्वपितृ अमावस्या