एलाइनमेंट में फंसा पठानकोट-मंडी फोरलेन

पठानकोट-मंडी नेशनल हाइवे के एक बड़े हिस्से को फोरलेन में बदलने में अभी और वक्त लग सकता है। इस हिस्से की एलाइनमेंट फाइनल नहीं हो पाई है। एनएचएआई परौर-पद्धर और पद्धर-बिजनी-मंडी के लिए अब एलाइनमेंट में बदलाव के बाद दोबारा डीपीआर तैयार करेगा।

इस पूरे मामले से जुड़ी फाइल फिलहाल दिल्ली में है। वहीं, एनएचएआई ने इस हिस्से की एक बार पहले डीपीआर बनाने की तैयारी जरूर शुरू की थी, लेकिन एलाइनमेंट में खामियां पाए जाने के बाद डीपीआर के काम को रोक दिया गया और फाइल को दोबारा से केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्रालय को भेजा गया है।

हालांकि एनएचएआई में अंदरखाते चल रही तैयारियों से दूर लोग निर्माण में देरी से नाराज हैं। इस देरी का असर कांगड़ा और मंडी दोनों जिलों में पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि 2017 में केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पठानकोट मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग 154 के लिए एक फोरलेन परियोजना की घोषणा की थी।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने राजमार्ग की चौड़ाई 45 मीटर तक बढ़ाने की योजना बनाई थी। इस फोरलेन के निर्माण से पठानकोट से मंडी की दूरी 219 किलोमीटर से घटकर 171 किलोमीटर रहने की संभावना है, लेकिन इस परियोजना में परौर (कांगड़ा) से पद्धर (मंडी) तक फोरलेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर अब लोग सवाल उठा रहे हैं।

इसके अलावा 30 मीटर के दायरे के बाहर निर्माण करते हैं और बाद में यह दायरा 45 मीटर का हो जाता है, तो इस निर्माण की एनएचएआई नए निर्माण में गिनती करेगा और उन्हें नुकसान के एवज में मुआवजे का भुगतान नहीं होगा।

एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी बोले, क्रमवार पूरी हो रही है भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया

एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी कर्नल अजय सिंह ने बताया कि पठानकोट-मंडी नेशनल हाइवे के इस हिस्से की एलाइनमेंट नहीं हो पाई है। इस वजह से काम धीमा चल रहा है।

उन्होंने बताया कि जब तक एलानइमेंट नहीं हो जाती, फोरलेन की डीपीआर तैयार नहीं हो पाएगी। यह मामला फिलहाल, केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्रालय और हिमाचल के बीच विचाराधीन है। हालंाकि इस हिस्से की डीपीआर पर पहले काम हुआ था, लेकिन एलाइनमेंट को लेकर सामने आई समस्या को देखते हुए डीपीआर का काम रोक दिया गया है।

भूमि अधिग्रहण के लिए ये हैं एनएचएआई के नियम

भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया क्रमवार पूरी की जाती है। इसमें थ्री-ए से थ्री-ई तक नियम तय हैं। इनमें थ्री-ए से प्रोजेक्ट की शुरुआत होती है और थ्री-डी सर्वे और प्रकाशन के बाद जो भूमि सार्वजनिक की जाती है।

इसके बाद स्थानीय प्रशासन की मदद से उसका अधिग्रहण किया जाता है। पठानकोट-मंडी फोरलेन में जिन जगह थ्री-डी से जुड़ी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।

उन्होंने कहा कि वहां भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है या प्रक्रिया चल रही है। काम शुरू होने के पहले दिन से तीन साल के दौरान काम पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है और इस अवधि में निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।

कीरतपुर-मनाली फोरलेन परियोजना के तहत सोमवार को मंडी बाइपास फोरलेन यातायात ट्रायल के लिए खोल दिया गया है। इस अवसर पर उपायुक्त अपूर्व देवगन सहित एनएचएआई से जुड़े अधिकारी उपस्थित रहे।

लगभग आठ किलोमीटर लंबे मंडी बाइपास निर्माण पर 725 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। हालांकि इसके कुछ घंटे बाद इसे फिर बंद कर दिया गया। तीन दिन तक इसका निरीक्षण होगा।

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