पैराग्लाइडिंग से प्रतिबंध हटा, विश्वविख्यात बिलिंग घाटी में फिर लौटी रौनक

काँगड़ा : पैराग्लाइडिंग की विश्वविख्यात घाटी बिलिंग में मंगलवार से फिर मानवीय परिंदे उड़ने लगे, जिसके चलते बिलिंग घाटी में एक बार फिर रौनक लौट आई है। करीब पौने चार महीने के लंबे अंतराल के बाद बिलिंग के नीले आकाश में मानवीय परिंदे उड़ने शुरू हुए। इसके चलते पैराग्लाइडिंग धंधे से जुड़े सैकड़ों लोगों के चेहरे पर रौनक लौट आई।

15 जुलाई तक इजाजत

हालांकि बरसात के दौरान प्रशासन द्वारा बिलिंग में पैराग्लाइडिंग पर प्रतिबंध होता है और पैराग्लाइडिंग करने के लिए 15 जुलाई तक ही इजाजत रहेगी। उसके बाद लगभग मध्य सितंबर तक प्रतिबंध रहता है। मंगलवार को आज पहले दिन हुई पैराग्लाइडिंग में केवल दस से 12 पायलटों ने उड़ान भरी, जिनमें कुछ पायलटों ने सोलो उड़ान का लुत्फ उठाया। कुछेक ने टेंडम उड़ान भरी।

सभी का धंधा था चौपट

गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान पैराग्लाइडिंग पर प्रतिबंध लगा हुआ था, जिसके चलते करीब 200 पायलटों व इतने ही टैक्सी वाले घर बैठने पर मजबूर हो चुके थे। सभी के धंधे चौपट हो गए थे। अब प्रदेश सरकार द्वारा साहसिक और पर्यटन गतिविधियों को सोमवार से खोल दिया है, जिसके चलते उनके चेहरों पर भी रौनक लौट आई।

पायलटों ने लिया भरपूर लुत्फ़

ऐसे में इस बात की जानकारी मिलते ही मंगलवार को प्रातः ही पैराग्लाइडिंग के शौकीन आकाश में उड़ने के लिए बीड़ से बिलिंग को रवाना हो गए। हालांकि पर्यटन सीजन न होने के कारण बीड़ घाटी में मौजूदा समय में कोई भी पर्यटक नहीं है। बावजूद उसके पैराग्लाइडिंग के शौकीन पैराग्लाइडर पायलटों ने बिलिंग से उड़ान भरकर लुत्फ उठाया।

कमाई के साथ शौक भी

मंगलवार को उड़ान भरने वाले पायलटों का कहना था कि पैराग्लाइडिंग उनकी कमाई के साथ-साथ उनका एक शौक भी है और चार महीने के बंद के दौरान ऊब गए हैं। इसलिए आज मौका मिलते ही वे ग्लाइडिंग करने आ गए। युवाओं का कहना था कि चार माह से बंद पड़े ग्लाइडर को पर्यटकों के लिए खोलने से पहले उनका निरीक्षण और अपनी तसल्ली करना भी जरूरी है। इसलिए अभी से ही उड़ानें भर रहे हैं।