हिंदू धर्म में और हमारी संस्कृति में पूर्णिमा का बहुत महत्व है। वैसे तो हर महीने में पूर्णिमा आती है और पूरे साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं, जिनका अलग ही महत्व होता है। इन सभी पूर्णिमा तिथियों में माघ मास की पूर्णिमा धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
पौराणिक मान्यता है कि इस दिन देवलोक से देवतागण पृथ्वी पर आते हैं। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। लोग माघ पूर्णिमा पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम स्थल प्रयाग में पवित्र स्नान, भिक्षा, गाय और होम दान जैसे कुछ अनुष्ठान करते हैं।
5 फरवरी को माघ पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण है। पंचांग के अनुसार 4 फरवरी शनिवार की रात 9 बजकर 29 मिनट से माघ पूर्णिमा शुरू हो चुकी है और इसका समापन 5 फरवरी, रविवार रात 11 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार देखें तो माघ पूर्णिमा 5 फरवरी के दिन ही मनाई जाएगी।
5 फरवरी के दिन ही सर्वाद्ध सिद्ध योग की शुरुआत हो रही है। सुबह 7 बजकर 7 मिनट से लेकर 12 बजकर 13 मिनट तक सर्वाद्ध सिद्ध योग रहेगा। इस दिन पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र का निर्माण भी हो रहा है, जिसे माघ पूर्णिमा के लिए बेहद शुभ मानते हैं।
सुबह-सवेरे उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान किया जाता है। जो लोग गंगा के आस-पास नहीं रहते, वे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के उपरांत “ऊं नमो नारायण:” मंत्र का जाप किया जाता है।
इसके बाद सूर्य देव का पूजन किया जाता है और अर्घ्य देकर पूजा की जाती है। भोग में चरणामृत, पान, रोली, फल, तिल, सुपारी और कुमकुम आदि अर्पित किए जाते हैं। इसके पश्चात आरती और प्रार्थना करते हैं। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी का पूजन भी किया जाता है। इसके पश्चात दान किया जा सकता है।
मान्यता है पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से मन को शांति मिलती है, तनाव दूर होता है। वहीं इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के अवतार सत्यनारायण की पूजा करने से धन-अन्न की कमी नहीं रहती है।
मान्यता है कि पूर्णिमा का व्रत करने से पारिवारिक कलह और अशांति दूर होती है। आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।