जोगिन्दरनगर : जोगिन्दरनगर उपमंडल में डाकघर चल्हारग के तहत बडोण में स्थित है माँ चतुर्भुजा मंदिर. मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी भी बड़ी विचित्र है. रणा खड्ड के किनारे कुछ ही दूरी पर भव्य मंदिर में विराजमान है माँ चतुर्भुजा .
बचपन में नहीं था दैवीय शक्ति का प्रभाव
मंदिर के पुजारी मेघ सिंह का कहना है कि बचपन में उन्हें किसी तरह का कोई दैवीय शक्ति का प्रभाव नहीं था. सन 1989 की बात है जब वे दसवीं कक्षा में पढ़ते थे. अचानक ही उनके शरीर में कम्पन हुई.
माँ के हुए थे साक्षात दर्शन
मेघ सिंह का कहना है कि एक बार जब वे बसाही धार माँ चतुर्भुजा मंदिर गए थे तो उन्हें वहां माँ के साक्षात दर्शन हुए थे. इस बारे में जब घरवालों को बताया तो किसी ने भी उनकी बात का विश्वास नहीं किया. उसके बात घर में अशांति का माहौल रहा फिर कुछ समय तक उन्होंनें मंदिर जाना छोड़ दिया.
जब सपने में आई कन्या
पुजारी का कहना है कि उन्हें माँ सपने में आने लगी और कन्या रूप में दर्शन देने लगी. माँ बार बार यह कहती कि वो मेरी सेवा लेना चाहती है.इस प्रकार कई बार माँ कन्या के रूप में दर्शन देने लगी और कहने लगी कि मैं माँ चतुर्भुजा हूँ और तुम से सेवा लेना चाहती हूँ.
घर में रुका माँ नैणा देवी का रथ
पुजारी का कहना है कि जब वे प्राथमिक स्कूल कुराटी में अध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे तो सावन महीने में सरकाघाट की तरफ से नैणा देवी का रथ उनके घर कि तरफ मुड़ा और देवलुओं के साथ माँ हमारे आंगन में आ गई. घर की परिक्रमा करने के बाद माँ नैणा देवी को एक खाली कमरे में बिठाया गया. उसी समय माँ चतुर्भुजा शरीर में विराजमान हुई और कहा कि मैं यहाँ आपके घर में विराजमान होना चाहती हूँ.
घर में कई वर्षों तक विराजमान रही माँ
पुजारी का कहना है कि अगस्त 2013 से लेकर अक्तूबर 2018 तक घर में ही विराजमान रही.घर के ही कमरे में माँ की पूजा अर्चना की गई तथा भक्तों के दुःख दूर करती रही. माँ के आशीर्वाद से ही अब भव्य मूर्ति के साथ नये मंदिर में स्थापना की गई. “जय माता दी”