आप सभी को रविवार से शुरू होने वाले शारदीय नवरातों की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। हिमाचल प्रदेश में देवी-देवताओं का वास होने के कारण हिमाचल को देवभूमि कहा जाता है।
भारतवर्ष के लोगों में हिमाचल में विराजमान देवी-देवताओं में अटूट विश्वास है तथा हर वर्ष श्रद्धालुओं का नवरात्र सहित विशेष पर्वों पर आना लगा रहता है। हिमाचल प्रदेश के देहरा में माता बग्लामुखी मंदिर बनखंडी का भी विशेष स्थान है।
इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से बुरी ताकतों का नाश होता है। शत्रुनाशिनी यज्ञ करवाने से शत्रु हार मान जाते हैं। शारदीय नवरात्र को लेकर मंदिर को सजाया गया है तथा सभी पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। हर साल करीब एक लाख श्रद्धालु मन्दिर में माथा टेकते हैं। विदेशों से भी श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचते हैं।
कौन थीं मां बगलामुखी
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मां बगलामुखी को दस महाविद्याओं में से आठवें नंबर पर स्थान प्राप्त है। वे रावण की ईष्ट देवी थीं। धर्म-शास्त्रों के मुताबिक जब भगवान राम रावण से युद्ध करने जा रहे थे, तो उन्होंने भी मां बगलामुखी की आराधना की थी, तब भगवान राम को रावण पर जीत हासिल हुई थी। इतना ही नहीं पांडव भी मां बगलामुखी की पूजा करते थे। कहा जाता है कि कांगड़ा में स्थित यह मंदिर महाभारत काल का है। जहां पांडवों ने ही अज्ञातवास के दौरान एक रात में इस मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर में मा बगलामुखी की गुफा के बाहर एक तरफ संकटमोचन हनुमान तथा दूसरी तरफ काल भैरव पहरा देते हैं।
पीला रंग है मंदिर की पहचान
मां बगलामुखी का यह मंदिर पीले रंग का है बल्कि, इस मंदिर की हर चीज यहां तक की माता के वस्त्र से लेकर उन्हें लगने वाले भोग तक हर चीज पीले रंग की होती है। माना जाता है कि मां बगलामुखी भक्तों के भय को दूर करके उनके शत्रुओं और उनकी बुरी ताकतों का नाश करतीं है। इस मंदिर में मुकदमों, विवादों में फंसे लोगों के अलावा बड़े-बड़े नेता, सेलिब्रिटी इत्यादि भी विशेष पूजा करने के लिए पहुंचते हैं।
यज्ञ में डाली जाती है लाल मिर्च की आहुति
कांगड़ा जिला में स्थित इस मां बगलामुखी मंदिर में शत्रुनाशिनी और वाकसिद्धि यज्ञ होते हैं। यह यज्ञ करने से शत्रु को परास्त करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही लोगों की हर मनोकामना भी पूरी होती है। शत्रु को परास्त करने के लिए किए जाने वाले इन यज्ञ में लाल मिर्च की आहुति दी जाती है।
इन्होंने भी कदवाया था शत्रुनाशिनी यज्ञ
राजनीति में विजय प्राप्त करने के लिए इस मंदिर में प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी पूजा कर चुकी हैं। वर्ष 1977 में चुनावों में हार के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करवाया। उसके बाद वह फिर सत्ता में आईं और 1980 में देश की प्रधानमंत्री बनीं।
बतौर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े भाई प्रह्लाद मोदी मंदिर में पूजा कर चुके हैं। नोट फॉर वोट मामले में फंसे सांसद अमर सिंह, सांसद जया प्रदा, मनविंदर सिंह बिट्टा, कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर, भूपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर की पत्नी नादिरा बब्बर, गोविंदा और गुरदास मान जैसी हस्तियां यहां आ चुकी हैं।
संकट के समय कॉमेडी किंग कपिल शर्मा भी यहां आ चुके हैं। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने भी अपनी पत्नी कोबिता के साथ तांत्रिक पूजा और हवन करवाया था।