कोटरोपी में हुए भयानक लैंडस्लाइड हादसे में 48 की जान जा चुकी है. यह आंकड़ा बढ़ सकता था यदि ड्राईवर वीरेंद्र ने सूझबूझ न दिखाई होती. पढ़िए चालक वीरेंद्र की जुबानी.
अमर उजाला के अनुसार एचआरटीसी की मनाली-कटड़ा रूट की बस को चालक वीरेंद्र चला रहा थ। जैसे ही बस सवा बारह बजे के करीब कोटरोपी के समीप पहुंची, सड़क पर मलबा गिर रहा था।
चालक वीरेंद्र ने बस वहीं पर खड़ी कर दी। कंडक्टर के साथ वह मलबा और सड़क की हालत देखने नीचे उतर गया। साथ में चार सवारियां भी उतरीं. गिर रहे मलबे से वह शीघ्रखतरे की स्थिति को भांप गया।
वीरेंद्र तुरंत बस में सवार हुआ और गाड़ी बैक करते-करते सवारियों को बाहर निकलने के लिए कहने लगा।
तभी बस पर गिरने लगा मलबा
तभी बस के ऊपर भी मलबा गिरने लगा। देखते-ही-देखते इस बस को भी मलबे ने अपनी चपेट में ले लिया। चालक ने बताया कि उस वक्त गाड़ी में कुछ ही सवारियां मौजूद थीं।
कोई चारा न देख वह बस से कूद गया लेकिन तीन सवारियां फंस गईं। इनमें से दो की मौत हो गई है। एक नर्सिंग स्टूडेंट स्वीटी को तीन घंटे की मशक्कत के बाद स्थानीय लोगों की मदद से निकाला गया।
चालक ने पीछे से आ रहे बाइक सवारों और अन्य गाडि़यों को भी रोका। बाइक पर सवार एक सैनिक युवक सनी मलबे की चपेट में आया गया। अन्य बाइक सवारों ने उसको निकालने की कोशिश की, लेकिन मलबे की भयंकर गर्जना को देखकर वह आगे नहीं जा सके। इससे युवक मलबे में लापता हो गया।
हाईवे का 200 मीटर धंसा
कोटरोपी में पहाड़ दरकने से पठानकोट-मनाली एनएच का करीब 200 मीटर हिस्सा पूरी तरह से धंस गया है। मार्ग पूरी तरह से बाधित है। वहीं प्रशासन ने मंडी जोगिंद्रनगर और मंडी-मनाली पर भूस्खलन के खतरे को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया गया है।