शिमला : आधे हिमाचल की लाइफलाइन कालका-शिमला फोरलेन का 40 मीटर हिस्सा भारी बारिश में पूरी तरह ध्वस्त होते ही यातायात के लिए बंद हो गया है। मंगलवार देर रात्रि को हुई बारिश से परवाणू के पास कोटी और चक्की मोड़ के बीच एनएच-5 ध्वस्त हो गया। मार्ग पर पूरे का पूरा पहाड़ ऐसा गिरा कि पैदल रास्ता भी बंद हो गया।
कड़ी मशक्कत के बाद इसे दस घंटे बाद छोटे वाहनों के लिए खोला गया , परंतु कुछ देर बाद ही भारी बारिश ने रही-सही कसर भी निकाल दी। और 40 मीटर हिस्से का नामोनिशान पूरी तरह मिट गया।
प्रशासन और एनएचएआई ने मार्ग पर दो दिन के लिए यातायात पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। कुल मिलाकर बड़े और भारी वाहनों का राजधानी शिमला से संपर्क कट गया है।
हालांकि छोटे वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्गों को चिन्हित किया गया है, लेकिन वहां लग रहे भारी जाम ने लोगों की समस्या को और बढ़ा दिया है। पुलिस अधीक्षक सोलन गौरव सिंह ने बताया कि चंडीगढ़- शिमला एनएच-5 बंद हो गया है।
वैकल्पिक ट्रैफिक प्लान जारी किया गया है। मौके पर मलबा हटाने का काम जारी है। ट्रैफिक प्लान के अनुसार पंचकूला से पिंजौर-परवाणू और फिर वहां से वाया कसौली-जंगेशू रोड-कुम्हारहट्टी तक छोटे वाहनों से जाया जा सकता है।
वहीं, सोलन से चंडीगढ़ जाने के लिए लोग वाया भोजनगर-बनासर-कामली रोड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
एसपी सोलन ने सभी लोगों से वैकल्पिक ट्रैफिक प्लान अपनाने का आग्रह किया है। परवाणू डीएसपी प्रणव चौहान ने कहा कि एनएच की बहाली तक सभी से सहयोग अपेक्षित है।
उधर, एनएचएआई के प्रबंधक बलविंदर सिंह ने बताया की पहले चक्कीमोड़ के पास लैंड स्लाइड से सडक़ को नुकसान हो गया था, परंतु बुधवार को कोटी के करीब पूरी सडक़ ही धंस गई और टूट गई, जिस कारण दो दिन के लिए हाइवे बंद करना पड़ा है।
हमारा प्रयास है कि जितना जल्दी हो सके, एनएच-5 पर यातायात बहाल किया जाए। दूसरी ओर वैकल्पिक मार्ग परवाणू वाया कसौली टू धर्मपुर रोड़ में बढ़े ट्रैफिक के कारण जाम की लंबी लाइनें भी देखने को मिलीं।
बता दें कि मंगलवार को ही शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर रहे टिकेंद्र सिंह द्वारा भी हाइवे की गुणवत्ता को लेकर परवाणू पुलिस थाना में शिकायत दर्ज करवाई थी। लोगों का कहना है कि एनएच-5 पूरे प्रदेश में बनाए जा रहे राजमार्गों में से सबसे क मजोर साबित हुआ है, जिसकी जांच होना आवश्यक है।
उधर, एनएचएआई के डायरेक्टर आनंद दहिया ने बताया कि हमारी टीम रोड़ को रिस्टोर करने में जुट गई है। हमारा प्रयास है कि इस हाइवे पर अगले 15 से 16 घंटे में ट्रैफिक बहाल कर दिया जाए, बाकी मौसम के ऊपर भी निर्भर करता है।
इन मार्गों का करें इस्तेमाल
एचआरटीसी एमडी रोहन ठाकुर के निर्देशानुसार शिमला से बसों को जुब्बलहट्टी, कुनिहार, नालागढ़, सिसवा मार्ग से भेजा जा रहा है, जबकि साधारण बसें दिल्ली से नाहन, कालाअंब, शाहबाद के रास्ते बसें शिमला भेजी जा रही हैं।
शिमला जाने के लिए पंचकूला से पिंजौर-परवाणू और फिर वाया कसौली-जंगेशू रोड-कुम्हारहट्टी तक छोटे वाहनों से जाया जा सकता है। वहीं, सोलन से चंडीगढ़ जाने को वाया भोजनगर-बनासर-कामली रोड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
पंडोह में चंडीगढ़-मनाली फोरलेन भी बंद
पंडोह। भारी भू-स्खलन के कारण चंडीगढ़-मनाली एनएच छह मील के पास बुधवार शाम छह बजे बंद हो गया। इसके गुरुवार सुबह ही खुलने की संभावना जताई जा रही थी।
सड़क पर रह-रहकर मलबे के साथ पत्थर गिरने के चलते खतरा और अधिक बढ़ गया है, जिसके चलते यहां यातायात पूरी तरह से बंद कर दिया गया और सडक़ के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
फोरलेन निर्माण में खामियों पर एजी को नोटिस जारी
चंडीगढ़-शिमला, चंडीगढ़-मनाली पर जनहित याचिका, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने चंडीगढ़-शिमला और चंडीगढ़-मनाली फोरलेन के निर्माण में इंजीनियरिंग से जुड़ी खामियों से जुड़ी जनहित याचिका में भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने बरसात की मार न झेल पाने वाले इन राष्ट्रीय राजमार्गों को हुए नुकसान पर जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की है।
कोर्ट ने पाया कि बारिश से हुए भू-स्खलन के कारण राजमार्गों को काफी नुकसान हुआ है और विशेष रूप से चंडीगढ़-शिमला और चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूमि के कटाव से बाधित हैं।
इससे सामान्य जीवन में काफी व्यवधान आया है, इसलिए कोर्ट ने समस्या की तीव्रता को ध्यान में रखते हुए अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया गया है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 45 वर्ष के अनुभव वाले इंजीनियर की शिकायत पर कोर्ट ने संज्ञान लिया है।
श्यामकांत धर्माधिकारी की ओर से लिखे पत्र में आरोप लगाया गया है कि पहाड़ों के अवैज्ञानिक कटान से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। बिना अनुभव की इंजीनियरिंग से बनाई जा रही भूमिगत सुरंगें, सडक़ें और पुलों से पहाड़ों की अनियोजित कटाई की जा रही है।
सड़कों में ढलान और अवैज्ञानिक तरीके से पुल और सुरंगों का निर्माण किया जाना नुकसान का कारण बनता है। कोर्ट को बताया गया कि हालांकि इंजीनियरिंग के बिना राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
आज के जमाने में इंजीनियरिंग और वास्तु कला की सख्त जरूरत है, लेकिन यदि इंजीनियरिंग और वास्तु कला में जरा सी भी खामी पाई जाती है, तो हजारों मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।