जोगिंदर नगर एक छोटी रेलवे पटरी के द्वारा शेष दुनिया से जुड़ा हुआ है. 2 फुट 6 इंच चौड़ी यह छोटी रेल लाइन (narrow gauge) विश्व की मात्र कुछ-एक नैरो-गेज लाइन में है जो अभी भी चलन में है.
इस रेलवे लाइन की योजना मई 1926 में बनायीं गयी तथा 1929 में इसे कार्यान्वित किया गया. अंग्रेजों के सहयोग से जोगिन्द्र नगर के तत्कालीन राजा जोगिन्द्र सेन ने सन 1926-1929 के दौरान शानन में एशिया के पहले पन-बिजली पावर हाउस का निर्माण कराया. पावर हाउस के निर्माण के लिए ब्रिटेन से भारी मशीनें लाने के लिए पठानकोट से जोगिन्द्रनगर के शानन तक यह नैरो-गेज लाइन बिछाई गयी जोकि मशीनरी की ढुलाई के साथ साथ कच्चे माल के परिवहन के लिए भी अत्याधिक सहायक सिद्ध हुई.
पंजाब के पठानकोट से हिमाचल प्रदेश के जोगिन्द्रनगर तक रेलवे लाइन की परिवहन दूरी 164 किलोमीटर (101.9 मील) है. इस रेलवे लाइन को यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किए जाने के लिए नामांकित किया गया है.
भारतीय रेलवे द्वारा इस रेलवे लाइन को चौड़ी व तेज रेल लाइन में बदलने के लिए चिन्हित किया गया है. योजना है कि इस रेल लाइन को चौड़ी रेलवे लाइन में बदल कर हिमाचल प्रदेश के मंडी के साथ जोड़ा जाए. अंततः प्रस्तावित नयी बिलासपुर-मंडी-मनाली-लेह रेलवे लाइन से जोड़ कर इस लाइन को आगे लेह तक बढाया जाए.
इस रेलवे लाइन की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 733 मीटर (2,405 फुट) है. सर्वाधिक ऊँचा स्थान 1,210 मीटर (3,970 फुट) पर ऐहजू है जबकि जोगिन्द्रनगर में इसकी उंचाई 1,189 मीटर (3,901 फुट) है.
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