शिमला : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने पहले मंत्रिमंडल विस्तार के साथ सभी मंत्रियों के विभाग बदल दिए हैं। मंत्रियों को सौंपे गए नए विभागों में मुख्यमंत्री की च्वाइस साफ झलक रही है। शुक्रवार देर रात बांटे गए विभागों में महेंद्र सिंह, बिक्रम सिंह, राजीव सहजल, सुरेश भारद्वाज और वीरेंद्र कंवर को मजबूत किया गया है, जबकि सरवीण चौधरी, रामलाल मार्कंडेय, गोबिंद सिंह ठाकुर के पर कतरे गए हैं।
सीएम
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास गृह, वित्त, सामान्य प्रशासन, योजना, कार्मिक के साथ वे सभी विभाग रहेंगे, जिन्हें किसी को नहीं दिया गया है।
महेंद्र सिंह ठाकुर
महेंद्र सिंह ठाकुर को जलशक्ति, बागबानी व सैनिक कल्याण के साथ रेवेन्यु जैसा महत्त्वपूर्ण विभाग दिया गया है।
सुरेश भारद्वाज
सुरेश भारद्वाज को शहरी विकास, टीसीपी, हाउसिंग, कानून, सहकारिता व संसदीय कार्य विभाग दिया गया है।
सरवीण चौधरी
सरवीण चौधरी को शहरी विकास से हटाकर सामाजिक न्याय व आधिकारिता विभाग सौंपा गया है।
रामलाल मार्कंडेय
रामलाल मार्कंडेय को कृषि से हटाकर तकनीकी शिक्षा, जनजातीय मामले व आईटी विभाग सौंपा गया है।
वीरेंद्र कंवर
वीरेंद्र कंवर पहले की अपेक्षा और सशक्त किया गया है और उन्हें ग्रामीण विकास, पंचायती रात, पशुपालन, मत्स्य पालन के साथ कृषि विभाग की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।
बिक्रम सिंह
बिक्रम सिंह पहले से और ताकतवर हुए हैं और उन्हें उद्योग, श्रम, रोजगार के साथ परिवहन जैसा महत्त्वपूर्ण जनउपयोगी विभाग सौंपा गया है।
गोबिंद सिंह ठाकुर
अब तक तीन बड़े विभागों के साथ महत्त्वपूर्ण भूमिका में डटे रहे गोबिंद सिंह ठाकुर को मात्र शिक्षा एवं भाषा एवं संस्कृति विभाग सौंपा गया है।
डा.राजीव सहजल
डा. राजीव सहजल को प्रदेश का महत्त्वपूर्ण विभाग स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण व आयुर्वेद का जिम्मा दिया गया है।
सुखराम चौधरी
पहली बार मंत्री बने पांवटा के विधायक सुखराम चौधरी को ऊर्जा व बहुउद्देशीय परियोजना व नवीकरण ऊर्जा विभाग दिया गया है।
राकेश पठानिया
नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया भी पहली बार मंत्री बने हैं और उन्हें वन व युवा सेवाएं और खेल विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।
राजेन्द्र गर्ग
घुमारवीं से पहली बार विधायक बनने के साथ-साथ कैबिनेट रैंक के मंत्री बनने वाले राजेंद्र गर्ग को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के साथ-साथ प्रिंटिंग व स्टेशनरी विभाग दिया गया है।
अढाई साल किया फेरबदल
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि विभागों में फेरबदल सभी मंत्रियों की अढ़ाई साल की परफार्मेंस के आकलन के बाद किया गया है। कुछ मंत्रियों से इसलिए विभाग लिए गए, क्योंकि उनके पास ज्यादा बड़े विभाग थे, जिससे उनकी कार्यकुशलता प्रभावित हो रही थी।
कहीं मिला कहीं छीना
चौंकाने वाले फेरबदलों को महेंद्र सिंह को राजस्व विभाग देना,सुरेश भरद्वाज से शिक्षा विभाग छीनना, शहरी विकास के कारण विवादों में रहने वाले सरवीण चौधरी से उनका विभाग छीन कर कम महत्त्वपूर्ण विभाग देना, बिक्रम को परिवहन की जिम्मेदारी सौंपना शामिल है।