जोगिन्दरनगर : यह हिमाचल का दुर्भाग्य ही रहा कि केंद्र सरकारों ने प्रदेश में रेल नेटवर्क के लिए सर्वे कराने का एलान तो किया लेकिन जमीन पर एक इंच भी पटरी नहीं ला सकी.
अधिकतर प्रोजेक्टों का काम अधूरा
प्रदेश में ज्यादातर प्रोजेक्टों पर सर्वे तक का काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है. पर्यटन हब होने के बावजूद आज भी प्रदेश की बड़ी आबादी और यहाँ आने वालों को रेल सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
रेल बजट से है उम्मीद
हालांकि हर बार की तरह इस बार भी केन्द्रीय वित् मंत्री अरुण जेटली के 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में हिमाचल को घोषित रेल परियोजनाओं के लिए बजट प्रावधान के साथ नई परियोजनाओं की उम्मीद की जा रही है.
ब्रिटिश काल की रेलवे लाइनें नहीं हुईं अपग्रेड
ब्तिरिश समय की रेलवे लाइनों को भी अभी तक अपग्रेड नहीं किया जा सका है. इन लाइनों के विस्तारीकरण का मसला राज्य गठन के बाद से लटका हुआ है. आधा दर्जन रेल परियोजनाओं के लिए सर्वे का काम होने के बावजूद केंद्र ने बजट में कोई प्रावधान नहीं किया है.
मनाली -लेह के लिए हो प्रावधान
सामरिक लिहाज़ से राष्ट्रीय परियोजना में शामिल बिलासपुर मनाली लेह रेलवे लाइन के लिए बजट का प्रावधान प्रदेश की तस्वीर बदल सकता है. इसके साथ वित् मंत्री के पिटारे से प्रदेश में हवाई सेवाएं और हेली टैक्सी सर्विसेज के साथ सीमान्त सडकों को सुदृढ़ करने के लिए नई घोषणाओं की भी उम्मीद की जा रही है.
मुख्यमंत्री ने रखी है मांग
प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बीते 18 जनवरी को वित् मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात कर लंबित परियोजनाओं को लेकर बजट में प्रावधान करने की मांग रखी है. उन्होंनें पठानकोट -मंडी रेलवे लाइन के साथ बिलासपुर लेह रेल परियोजनाओं के शीघ्र शुरू किये जाने पर जोर दिया है. अब देखना यह है कि वित् मंत्री के बजट भाषण में हिमाचल में रेलवे को सुदृढ़ करने के लिए क्या कदम उठाये जाते हैं.
ब्राडगेज नहीं हुई जोगिन्दरनगर तक लाइन
पठानकोट जोगिन्दरनगर रेल लाइन को ब्राड गेज करने के लिए भी केवल दावे ही होते रहे हैं. सर्वे की घोषणा वर्ष 2016 में हुई लेकिन अभी तक बजट जारी नहीं हुआ है. यह परियोजना सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण होने के बावजूद अभी तक केंद्र सरकार ने इसकी सुध नहीं ली है. अब राज्य सरकार इस रेल लाइन को अपग्रेड करने के साथ मंडी तक ले जाने की मांग कर रही है.