कर्मचारियों को सबसे कम वेतनमान दे रहा हिमाचल

छठे वेतन आयोग की अधिसूचना से प्रदेश के कर्मचारी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हिमाचल में इससे पहले 2006 का पे कमीशन 2009 में लागू किया गया था। बाद में कुछ खामियों के कारण उस वेतन आयोग में कुछ संशोधन किए गए थे, जिससे बहुत से कर्मचारियों और शिक्षकों का ग्रेड पे बढ़ गया था, लेकिन उसी संशोधन में हिमाचल सरकार ने पंजाब सरकार के संशोधन को पीछे छोड़कर एक अपना नया पैरामीटर तय किया था।

प्रदेश में पहली अक्तूबर 2012 को ग्रेड पे के संशोधन में कर्मचारी व शिक्षकों को इनिशियल स्टार्ट बंद कर दिया। साथ में नए वेतनमान को लागू करने के लिए नई नियुक्तियों एवं पदोन्नति पर दो साल की बेवजह शर्त थोप दी, जिसका खामियाजा छठे वेतन आयोग में आज हिमाचल प्रदेश के ढाई लाख कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश के अंदर पहला ऐसा राज्य बन गया है, जो अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को सबसे कम वेतनमान दे रहा है। 2016 से छठे वेतन मान के अनुसार हिमाचल में प्रवक्ताओं को इनिशियल वेतनमान 43000 है।

टीजीटी को 38100, सी एंड वी को 35600 जेबीटी को 33400 रखा गया है जबकि पंजाब में 47000,41600,40100, 37600 तथा केंद्र में यदि केंद्रीय विद्यालय की बात करें तो प्रवक्ताओं को 47 600 टीजीटी को 44, 900 जेबीटी को 35400 इसी आधार पर हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी यही वेतनमान लागू है। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने मांग की कि हिमाचल सरकार पंजाब के वेतनमान को लागू करे।

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