गुरु गोबिंद सिंह जयंती के अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु थे. गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म को मजबूत किया था और अपने अनुयायियों को वे सच्चाई, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया करते थे.
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नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक, पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है. इस साल पौष माह में सप्तमी तिथि की शुरूआत 5 जनवरी की रात 8:15 बजे हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 6 जनवरी 6:23 बजे होगा.
इसीलिए 6 जनवरी, सोमवार के दिन गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जा रही है. इस खास अवसर पर आप भी सभी को शुभकामनाएं।
गुरु गोबिन्द सिंह ने पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रन्थ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में प्रतिष्ठित किया। बचितर नाटक उनकी आत्मकथा है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह दसम ग्रन्थ का एक भाग है। दसम ग्रन्थ , गुरु गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है।
उन्होने अन्याय, अत्याचार और पापों को खत्म करने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए मुगलों के साथ 14 युद्ध लड़े। धर्म की रक्षा के लिए समस्त परिवार का बलिदान किया, जिसके लिए उन्हें ‘सरबंसदानी’ (पूरे परिवार का दानी ) भी कहा जाता है।
इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले, आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं।
विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय होने के साथ-आथ गुरु गोविन्द सिंह एक महान लेखक, मौलिक चिन्तक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे।
उन्होंने स्वयं कई ग्रन्थों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। कवि और साहित्य-मर्मज्ञ उनके दरबार की शोभा बढ़ाते थे। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। इसीलिए उन्हें संत सिपाही भी कहा जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह जी के अनमोल वचन
- ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें.
- इंसान से प्रेम करना ही, ईश्वर की सच्ची आस्था और भक्ति है.
- अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो वर्तमान भी खो देंगे.
- मैं उन लोगों को पसंद करता हूं जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं.
- भगवान के नाम के अलावा कोई मित्र नहीं है, भगवान के विनम्र सेवक इसी का चिंतन करते और इसी को देखते हैं.
- सत्कर्म कर्म के द्वारा, तुम्हे सच्चा गुरु मिलेगा और उसके बाद प्रिय भगवान मिलेंगे, उनकी मधुर इच्छा से, तुम्हें उनकी दया का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
- हमेशा अपने दुश्मन से लड़ने से पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें.
- सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होती है जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है.
- भगवान के नाम के अलावा कोई मित्र नहीं है, भगवान के विनम्र सेवक इसी का चिंतन करते और इसी को देखते हैं.
- अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं. अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है.