आप सभी को दीवाली पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। रविवार को पूरे भारतवर्ष में दीवाली पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी दिन भगवान श्री राम चन्द्र 14 वर्ष का बनवास काट कर अयोध्या लौटे थे और अयोधावासियों ने उनके स्वागत के लिए घी के दिए जलाए थे। तब से ही यह पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
दीवाली का त्योहार कार्तिक माह के अमावस्या तिथि पर मनाने का विधान होता है। दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन का काफी महत्त्व होता है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
दीवाली पर अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर दो बजकर 30 मिनट पर शुरू हो जाएगी।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक दीवाली की शाम के समय जब लक्ष्मी पूजा होगी उसी दौरान 5 राजयोग का निर्माण भी होगा। इसके अलावा आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बनेगा। इस तरह से दिवाली आठ शुभ योगों में मनाई जाएगी।
लक्ष्मी-गणेश पूजा का मुहूर्त
– 12 नवंबर को शाम 5:40 से शाम 7:36 तक
– अवधि- 01 घंटा 54 मिनट
– प्रदोष काल- 05:29 से 08:07 तक
– वृषभ काल- 05:40 से 07:36 तक दिवाली महानिशीथ काल पूजा मुहूर्त
– लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 11:39 से 12:31 तक
– अवधि- 52 मिनट
– महानिशीथ काल- 11:39 से 12:31 तक
– सिंह काल- 12:12 से 02:30 तक दिवाली शुभ चौघडिया पूजा मुहूर्त
– अपराह्न मुहूर्त (शुभ)- 01:26 से 02:47 तक
– सायंकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल)- 05:29 से 10:26 तक
– रात्रि मुहूर्त (लाभ)- 01:44 से 03:23 तक
– उषाकाल मुहूर्त (शुभ)- 05:02 से 06:41 तक
आज दोपहर बाद अमावस्या तिथि
इस वर्ष छोटी और बड़ी दिवाली दोनों ही एक दिन यानी 12 नवंबर को ही मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार 12 नवंबर को सुबह तक रूप चौदस रहेगी फिर दोपहर अढ़ाई बजे के बाद कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी।
शास्त्रों के अनुसार दिवाली पर लक्ष्मी पूजन हमेशा अमावस्या की रात को होती है। इस वजह से दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा 12 नवंबर को रात को होगी। अमावस्या तिथि 13 नवंबर को दोपहर तीन बजे तक ही रहेगी।